गढ़वा (झारखंड): झारखंड के गढ़वा जिले में किसानों की मेहनत को नीलगायों का आतंक बार-बार तबाह कर रहा है। बारिश की अनियमितता, सिंचाई साधनों की कमी और अब फसलों को नष्ट करती नीलगायें, इन तीनहरी मार से किसान गंभीर संकट में हैं। जिले के कांडी, बरडीहा, विशुनपुरा और भवनाथपुर प्रखंड में नीलगाय फसल नुकसान की घटनाएं सबसे अधिक रिपोर्ट की गई हैं।
नीलगाय के झुंड से फसलें रौंदी, किसान खेती छोड़ने को मजबूर
स्थानीय किसानों का कहना है कि वे जैसे-तैसे बारिश के सहारे खेती कर पाते हैं, लेकिन फसल पकते ही नीलगायों के झुंड खेत में घुस जाते हैं और पूरी फसल रौंद डालते हैं। सब्ज़ी, धान, दाल और गेहूं जैसी मुख्य फसलों को नीलगायें भारी नुकसान पहुँचा रही हैं।
कई किसानों ने बताया कि फसल की रक्षा के लिए उन्हें रातभर खेतों में जागना पड़ता है। बांस की घेराबंदी, बिजली के बल्ब, टिन की चादरें और घंटियों जैसे देशी उपाय भी कारगर नहीं हो पा रहे हैं।
Rural Jharkhand में Crop Damage से किसानों को आर्थिक नुकसान
कर्णपुरा, भंडरिया और सगमा जैसे गांवों में nilgai attack on crops in Jharkhand की स्थिति अत्यधिक गंभीर है। यहां के किसान सरकार से राहत और उचित मुआवजा की मांग कर रहे हैं।
विशुनपुरा प्रखंड के किसान रामदयाल साह ने बताया, “हमारी सब्ज़ी की पूरी फसल एक ही रात में नीलगायें बर्बाद कर देती हैं। दिन-रात पहरा देने के बावजूद कुछ नहीं बचा पा रहे।”
वन विभाग का शिफ्टिंग प्लान: 1000 नीलगायों को अन्यत्र स्थानांतरित करने की योजना
गढ़वा उत्तर वन प्रमंडल (Garhwa Forest Division) ने इस बढ़ती समस्या का स्थायी समाधान खोजने के लिए nilgai shifting operation की योजना बनाई है। DFO (Divisional Forest Officer) के मुताबिक, लगभग 1000 नीलगायों को पकड़कर दूसरे सुरक्षित क्षेत्रों में स्थानांतरित किया जाएगा।
इसके लिए विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर उच्चस्तरीय स्वीकृति के लिए भेज दिया है। जैसे ही अनुमति मिलेगी, तत्काल केज ट्रैपिंग, देसी तकनीक और संसाधन तैनाती की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
वन विभाग की रणनीति में शामिल होंगे मानव संसाधन और तकनीकी उपाय
वन विभाग अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि शिफ्टिंग ऑपरेशन के दौरान स्थानीय कार्मिकों और देसी ट्रैपिंग पद्धतियों का उपयोग किया जाएगा। योजना के तहत किसानों को crop compensation scheme से जोड़ने की प्रक्रिया भी तेज़ कर दी गई है।