पलामू, झारखंड: झारखंड के नक्सल प्रभावित और सामाजिक रूप से पिछड़े ज़िलों में शुमार पलामू अब वैश्विक अवसरों की ओर तेज़ी से कदम बढ़ा रहा है। आंकड़े दर्शाते हैं कि जिले में हर साल लगभग 6000 लोग पासपोर्ट बनवा रहे हैं, जो कि झारखंड में विदेश जाने की बढ़ती चाहत को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। वर्ष 2024 में 5,959 पासपोर्ट बनाए गए, जो पिछले वर्षों के औसत के अनुरूप है।
पासपोर्ट वेरिफिकेशन में पलामू अव्वल, पुलिस को मिला सम्मान
पलामू जिले ने पासपोर्ट वेरिफिकेशन प्रक्रिया में पूरे ज़ोन में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है। पुलिस की तत्परता से पासपोर्ट प्रक्रिया में तेजी आई है, जिससे आवेदकों को समय पर दस्तावेज़ प्राप्त हो रहे हैं। औसतन 7 दिनों में वेरिफिकेशन प्रक्रिया पूरी की जा रही है।
रीजनल पासपोर्ट ऑफिस की ओर से पलामू पुलिस को विशेष सम्मान प्रदान किया गया है। एसपी रीष्मा रमेशन के अनुसार, जिले में लगभग 99% पासपोर्ट वेरिफिकेशन ‘पासपोर्ट ऐप’ के माध्यम से किया जा रहा है, जिससे प्रक्रिया डिजिटल और अधिक पारदर्शी बन गई है।
झारखंड के पलामू जिले के किन क्षेत्रों से आ रहे सबसे ज्यादा पासपोर्ट आवेदन
पलामू जिले के भीतर पासपोर्ट आवेदन कुछ विशेष क्षेत्रों से ज़्यादा संख्या में सामने आ रहे हैं:
- मेदिनीनगर टाउन – 1013 पासपोर्ट (2024)
- हुसैनाबाद – 970 पासपोर्ट
- हैदरनगर – 764 पासपोर्ट
- हरिहरगंज – उल्लेखनीय संख्या
- नावाजयपुर (अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र) – 27 पासपोर्ट
यह आंकड़े दर्शाते हैं कि ग्रामीण और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी अंतरराष्ट्रीय अवसरों को लेकर रुचि बढ़ी है।
महिलाओं की भागीदारी में तेजी, 30% से ज्यादा महिला आवेदक
पलामू जिले में पासपोर्ट बनवाने वालों में महिलाओं की भागीदारी 30% से अधिक पहुंच गई है। यह संकेत करता है कि अब झारखंड की महिलाएं भी विदेश में शिक्षा, रोजगार और यात्रा को लेकर पहले से कहीं अधिक सजग और तैयार हैं। यह सामाजिक बदलाव महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
विदेश में नौकरी और शिक्षा के लिए गल्फ कंट्री पहली पसंद
पासपोर्ट प्राप्त करने के बाद पलामू के लोग गंभीरता से विदेश में रोजगार और पढ़ाई के विकल्प तलाश रहे हैं। खासकर गल्फ देश जैसे – सऊदी अरब, कतर, ओमान और यूएई यहां के युवाओं के लिए पहली पसंद बन गए हैं। इन देशों में ब्लू कॉलर और स्किल्ड वर्कर्स की मांग, बेहतर वेतन और जीवन स्तर जैसे कारण आकर्षण का केंद्र बने हैं।
इसके साथ ही आईटी, मेडिकल और इंजीनियरिंग जैसे प्रोफेशनल क्षेत्रों में करियर बनाने के लिए अमेरिका और यूरोपियन देशों की ओर भी रुझान बढ़ रहा है।
हुसैनाबाद और हैदरनगर से सबसे अधिक विदेश यात्रा
हुसैनाबाद और हैदरनगर के लोग रोजगार के साथ धार्मिक यात्रा के लिए भी विदेश जा रहे हैं। विशेष रूप से हज और उर्स जैसे धार्मिक उद्देश्यों के लिए इन क्षेत्रों से यात्रा में वृद्धि दर्ज की गई है।
हैदरनगर निवासी जाफर हव्वारी ने बताया कि, “यहां के लोग विदेश इसलिए जा रहे हैं क्योंकि वहां मेहनत का उचित मूल्य मिलता है और जीवन स्तर भी अच्छा है।”
प्राकृतिक आपदाओं और बेरोजगारी ने युवाओं को विदेश की ओर मोड़ा
पलामू जैसे क्षेत्रों में लगातार बेरोजगारी, कृषि पर निर्भरता, और प्राकृतिक आपदाओं ने युवाओं को विदेश में अवसर तलाशने के लिए प्रेरित किया है। झारखंड में रोजगार की सीमित संभावनाओं के बीच, विदेश जाने का विकल्प अधिक व्यावहारिक बनता जा रहा है।
डिजिटल इंडिया और सरकारी प्रयासों से प्रक्रिया हुई आसान
डिजिटल इंडिया अभियान और पासपोर्ट सेवा केंद्रों की सुगमता के कारण पासपोर्ट प्रक्रिया अब अधिक सहज हो गई है। इसके तहत ऑनलाइन आवेदन, डिजिटल वेरिफिकेशन, और तेजी से फॉलोअप सिस्टम ने विदेश यात्रा की दिशा में पहला कदम आसान कर दिया है।