रांची: झारखंड में साइबर अपराध (Cyber Crime in Jharkhand) ने चिंताजनक स्तर पर पहुंच कर कानून-व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती खड़ी कर दी है। नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCCRP) के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2022 से 12 जून 2025 तक के 41 महीनों में 481 करोड़ रुपये की साइबर ठगी को अंजाम दिया गया है।
साइबर फ्रॉड की यह बेलगाम बढ़ोतरी, राज्य में बढ़ते तकनीकी अपराधों और ठगों के अंतरराज्यीय व अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की पुष्टि करती है।
जामताड़ा से दुबई तक फैला साइबर क्राइम मॉड्यूल
विशेषज्ञों और साइबर अपराध नियंत्रण एजेंसियों के अनुसार, झारखंड में दो-स्तरीय साइबर फ्रॉड नेटवर्क सक्रिय है:
- पहला स्तर: जामताड़ा, देवघर और गिरिडीह जैसे जिलों से संचालित होता है, जहां अधिकतर ठग 10 लाख रुपये तक की धोखाधड़ी को अंजाम देते हैं।
- दूसरा स्तर: अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़ा हुआ है, जिसकी कड़ियां दुबई और चीन तक फैली हुई हैं। ये गिरोह करोड़ों की हाई-टेक साइबर ठगी को अंजाम देते हैं, और ठगी की रकम हवाला, क्रिप्टो और अन्य डिजिटल माध्यमों से विदेशों में बैठे सरगनाओं तक पहुंचाई जाती है।
शिकायतें बढ़ीं, लेकिन FIR दर्ज नहीं हो रहीं
NCCRP के आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि साइबर अपराध की शिकायतों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन उसकी तुलना में प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने की दर बेहद कम है।
41 महीनों में साइबर अपराध से जुड़ी कुल 44,564 शिकायतें दर्ज हुईं, जिसमें निम्नलिखित वर्षवार ठगी की राशि सामने आई:
- 2022: 6,917 शिकायतें – ₹23 करोड़ की ठगी
- 2023: 10,102 शिकायतें – ₹68 करोड़ की ठगी
- 2024: 17,633 शिकायतें – ₹297 करोड़ की ठगी
- 2025 (जनवरी से 12 जून तक): 9,912 शिकायतें – ₹93 करोड़ की ठगी
इस अवधि में सिर्फ 3,634 मामलों में ही प्राथमिकी दर्ज हो सकी, जो कुल शिकायतों का लगभग 8% ही है।
Cyber Crime in Jharkhand vs Telangana: FIR प्रणाली में बड़ा अंतर
तेलंगाना मॉडल को साइबर क्राइम प्रबंधन में उदाहरण माना जा रहा है। वहां NCCRP पर दर्ज हर शिकायत सीधे CCTNS (Crime and Criminal Tracking Network & System) से जुड़कर स्वतः प्राथमिकी में परिवर्तित हो जाती है।
इसके विपरीत, झारखंड पुलिस का सिस्टम NCCRP से तकनीकी रूप से इंटीग्रेटेड नहीं है, जिससे शिकायत और एफआईआर डेटा में भारी असंतुलन देखा जा रहा है। नतीजतन, पीड़ितों को न्याय मिलने में देरी हो रही है, और अपराधी खुलेआम सक्रिय हैं।
साइबर अपराध की राजधानी बना जामताड़ा
जामताड़ा, जो कभी झारखंड का एक सामान्य जिला हुआ करता था, अब भारत के साइबर क्राइम हब के रूप में कुख्यात हो चुका है।
यहां के युवाओं द्वारा सस्ते मोबाइल, सीम और फर्जी बैंक खातों के माध्यम से ठगी की जाती है। NCCRP रिपोर्ट में बताया गया है कि जामताड़ा, देवघर और गिरिडीह जैसे जिलों में साइबर क्राइम नेटवर्क बेहद संगठित तरीके से कार्यरत हैं, जो न केवल राज्य बल्कि पूरे देश को प्रभावित कर रहे हैं।
झारखंड में साइबर ठगी के माध्यम: फर्जी KYC, OLX स्कैम, लॉटरी और बैंक फ्रॉड
रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में साइबर अपराधी फर्जी KYC अपडेट कॉल, OLX और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर स्कैम, बैंकिंग फ्रॉड, फर्जी लॉटरी जीतने का लालच और मूल्यवान वस्तुओं की ऑनलाइन ठगी जैसे तरीकों से आम लोगों को निशाना बना रहे हैं।
इन अपराधों की जड़ें मोबाइल नेटवर्क, डार्क वेब और डिजिटल पेमेंट सिस्टम में गहराई से जुड़ी हुई हैं।
एजेंसियों की चुनौतियां और तकनीकी बाधाएं
झारखंड में साइबर अपराध पर नियंत्रण के प्रयासों में कई तकनीकी और संसाधन संबंधी चुनौतियां सामने आ रही हैं:
- पुलिसकर्मियों को साइबर क्राइम की उन्नत ट्रेनिंग नहीं मिली है
- थानों में साइबर क्राइम यूनिट की संख्या सीमित है
- तकनीकी जांच और डिजिटल फॉरेंसिक लैब की सुविधा अपर्याप्त है
- आधुनिक टूल्स और ट्रैकिंग तकनीक की कमी के कारण अपराधियों की पहचान और गिरफ्तारी में देरी होती है
साइबर अपराध से बचाव के लिए जनजागरूकता की जरूरत
NCCRP की रिपोर्ट से यह भी स्पष्ट है कि जनसामान्य को साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक करना अत्यंत आवश्यक है।
विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य सरकार को स्कूल, कॉलेज और पंचायत स्तर तक साइबर जागरूकता अभियान चलाना चाहिए ताकि लोग फर्जी कॉल, लिंक और पेमेंट रिक्वेस्ट को पहचान सकें और समय रहते शिकायत कर सकें।