झारखंड कांग्रेस में बड़े फेरबदल के तहत केशव महतो कमलेश को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है।
पार्टी ने ओबीसी समुदाय को साधने के लिए यह महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इससे पहले राजेश ठाकुर प्रदेश अध्यक्ष थे।
इसके साथ ही, वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव को कांग्रेस विधायक दल का नेता नियुक्त किया गया है। कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने इस संबंध में आधिकारिक पत्र जारी किया है, जिससे झारखंड की राजनीति में हलचल मच गई है।
ओबीसी वोट बैंक पर कांग्रेस की नजर
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कांग्रेस ने झारखंड में ओबीसी वोट बैंक को अपने पक्ष में करने के लिए केशव महतो कमलेश को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर सोची-समझी रणनीति अपनाई है।
राज्य में ओबीसी की आबादी करीब 42 प्रतिशत है, जिसमें महतो (कुर्मी) जाति का अहम योगदान है।
केशव महतो कमलेश को एक व्यवहार कुशल और सादा जीवन जीने वाले नेता के रूप में जाना जाता है। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती ओबीसी वोटों को कांग्रेस और गठबंधन के पक्ष में गोलबंद करना होगी।
आदिवासी और ओबीसी गठबंधन बना सकता है चुनावी समीकरण
झारखंड में आदिवासियों की संख्या सबसे अधिक है, जो कुल जनसंख्या का लगभग 26 प्रतिशत है।
वहीं, कुर्मी समाज की आबादी लगभग 14-15 प्रतिशत है, जिससे केशव महतो कमलेश का संबंध है।
आदिवासी और ओबीसी का संयुक्त प्रतिनिधित्व 42 प्रतिशत से अधिक हो जाता है।
कांग्रेस ने आदिवासी समुदाय के नेता रामेश्वर उरांव को विधायक दल का नेता और कुर्मी समाज के केशव महतो को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर सियासी संतुलन साधने का प्रयास किया है।
केशव महतो कमलेश: एक परिचय
केशव महतो कमलेश एक पुराने और अनुभवी कांग्रेसी नेता हैं।
1985 में उन्होंने सिल्ली विधानसभा सीट से पहली बार विधायक के रूप में जीत हासिल की थी। 1989 में बिहार सरकार में मंत्री भी बने। 1995 में उन्होंने दूसरी बार सिल्ली से जीत दर्ज की।
हालांकि, 2000 के चुनाव में आजसू के सुदेश महतो ने उन्हें मात दी।
इसके अलावा, वे रामेश्वर उरांव की कमिटी में प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष भी रह चुके हैं और वर्तमान में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य हैं।
कुल मिलाकर, झारखंड कांग्रेस में इस फेरबदल का असर आगामी विधानसभा चुनावों में देखने को मिल सकता है।
अब देखना होगा कि केशव महतो कमलेश और रामेश्वर उरांव की यह नई टीम कांग्रेस को कितनी मजबूती देती है।