झारखंड में भीषण जल संकट को लेकर सियासत तेज हो गई है। राज्य के नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने राजधानी रांची के सिल्ली क्षेत्र में पानी की किल्लत पर राज्य सरकार पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पूर्व जल संसाधन मंत्री मिथिलेश ठाकुर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं, साथ ही रांची जिला प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग की है।
Ranchi Water Crisis: बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया पर उठाया मुद्दा
बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर सिल्ली की तस्वीरें साझा करते हुए लिखा कि रांची के ग्रामीण इलाकों में पानी की भारी किल्लत है। उन्होंने कहा, “यह स्थिति शर्मनाक है। लोग हर रोज बूंद-बूंद पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जबकि सरकार की प्राथमिकता कहीं और है।”
उन्होंने रांची डीसी मंजूनाथ भजंत्री से आग्रह किया कि वे खुद मौके का निरीक्षण करें और सुनिश्चित करें कि जलापूर्ति की उचित व्यवस्था जल्द से जल्द हो।
Hemant Soren पर बड़ा आरोप: जल जीवन मिशन फंड में घोटाले का दावा
BJP के वरिष्ठ नेता मरांडी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने जल जीवन मिशन के तहत झारखंड को हजारों करोड़ रुपये की सहायता राशि दी थी ताकि हर घर नल से जल पहुंचाया जा सके। लेकिन इस फंड का कथित रूप से एक बड़ा हिस्सा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया।
मरांडी ने आरोप लगाया कि इस फंड का “बड़ी हिस्सेदारी कमीशनखोरी और घोटाले में खप गई, जिससे आज जनता को यह दिन देखना पड़ रहा है।” उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और पूर्व मंत्री मिथिलेश ठाकुर इसकी सीधी जवाबदेही से बच नहीं सकते।
Water Crisis in Ranchi: पीने के पानी के लिए मीलों दूर जा रहे ग्रामीण
रांची जिले के दर्जनों गांवों में पाइपलाइन की सुविधा नहीं है, और जहां है भी वहां कई जगहों पर पाइपलाइनों में वर्षों से पानी नहीं आया। स्थानीय लोगों के अनुसार, महिलाएं और बच्चे कई किलोमीटर दूर से पानी ढोकर लाने को मजबूर हैं।
नगर निगम की ओर से टैंकर सेवा चालू की गई है, लेकिन वह जरूरत के मुकाबले बेहद नाकाफी साबित हो रही है। कई ग्रामीण क्षेत्रों में न तो हैंडपंप चालू हैं और न ही जल स्रोतों की सफाई हुई है।
Jharkhand Political News: विपक्ष का सरकार पर दबाव बढ़ा
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि जल संकट केवल प्राकृतिक नहीं बल्कि प्रशासनिक विफलता का परिणाम है। उन्होंने सरकार से पूछा कि आखिर जलापूर्ति योजना के लिए मिले फंड का ऑडिट क्यों नहीं किया गया?
झारखंड में पानी की समस्या को लेकर यह पहला मौका नहीं है जब विपक्ष ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। लेकिन इस बार मुद्दा राजधानी रांची से जुड़ा है, जहां सरकारी तंत्र की असफलता अधिक उजागर हो रही है।
जिलों में जल संकट की स्थिति, ग्रामीण इलाकों में हालात और गंभीर
राज्य के जिलों में जल संकट के अलग-अलग रूप देखने को मिल रहे हैं। दुमका, गढ़वा, पलामू, लातेहार, लोहरदगा और गोड्डा जैसे इलाकों से भी पेयजल संकट की खबरें सामने आ रही हैं। गर्मी का चरम और बारिश की कमी के चलते हालात दिन-प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे हैं।