Ranchi: सुप्रीम कोर्ट ने देवघर के प्रसिद्ध बाबा बैद्यनाथधाम मंदिर परिसर से अतिक्रमण हटाने और श्रद्धालुओं के लिए बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के मुद्दे पर अहम टिप्पणी की है। अदालत ने याचिकाकर्ता संजीव सिंह को सुझाव देने की अनुमति दी है और निर्देश दिया है कि संबंधित अधिकारी इन सुझावों पर गंभीरता से विचार करें, ताकि मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं को आधुनिक और सुव्यवस्थित सुविधाएं मिल सकें।
झारखंड के देवघर में स्थित बाबा बैद्यनाथ मंदिर देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जहां हर वर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। अतिक्रमण और अव्यवस्था की समस्या को लेकर यह मामला लंबे समय से चर्चा में था।
सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ — न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति उज्जल भूयान और न्यायमूर्ति जॉयमल्या बागची — ने सोमवार को इस मामले पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि वह याचिका में लगाए गए आरोपों पर कोई टिप्पणी नहीं करेगी, लेकिन याचिकाकर्ता को यह स्वतंत्रता दी जाती है कि वह अपने सुझाव सक्षम प्राधिकार के समक्ष प्रस्तुत करे।
सुप्रीम कोर्ट ने दी सुझाव देने की छूट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाबा मंदिर परिसर में अतिक्रमण हटाने और सुविधाओं के विकास के लिए यदि कोई ठोस सुझाव हैं, तो याचिकाकर्ता उन्हें राज्य सरकार या संबंधित विभाग को दे सकते हैं। अदालत ने यह भी उम्मीद जताई कि झारखंड सरकार और पर्यटन विभाग इन सुझावों पर विचार कर आवश्यक कदम उठाएंगे।
न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि याचिका में लगाए गए अतिक्रमण से संबंधित आरोपों पर फिलहाल कोई निर्णय नहीं दिया जाएगा, क्योंकि यह प्रशासनिक स्तर पर समीक्षा और कार्रवाई योग्य मामला है।
हाईकोर्ट ने याचिका की थी खारिज
इससे पहले झारखंड हाईकोर्ट ने संजीव सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया था। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि बाबा मंदिर परिसर के आसपास 700 से 1000 मीटर के क्षेत्र में अवैध निर्माण और अतिक्रमण हुआ है, जिससे श्रद्धालुओं को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश एम. एस. रामचंद्र राव और न्यायाधीश राजेश शंकर की पीठ ने यह कहते हुए याचिका खारिज की थी कि याचिकाकर्ता झारखंड के निवासी नहीं हैं और उन्होंने याचिका में किसी विशिष्ट व्यक्ति या संस्था को प्रतिवादी नहीं बनाया है।
याचिका में उठाए गए मुख्य मुद्दे
संजीव सिंह की याचिका में देवघर बाबा मंदिर परिसर (Deoghar Baba Mandir Encroachment Case) से संबंधित कई सुधारात्मक मांगें रखी गई थीं —
- मंदिर परिसर में किए गए अतिक्रमण को हटाकर श्रद्धालुओं के लिए मार्ग चौड़ा करना।
- शिवगंगा से बाबा मंदिर तक सड़क का चौड़ीकरण।
- परिसर में पेयजल, चाय-कॉफी और बैठने की उचित व्यवस्था।
- श्रद्धालुओं के लिए शौचालय और वॉशरूम की व्यवस्था।
- वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं के लिए गर्भगृह तक अलग रास्ते की सुविधा।
- मंदिर परिसर में आपातकालीन स्वास्थ्य सुविधाएं और लाइफ सपोर्ट सिस्टम की उपलब्धता।
- सुरक्षा बढ़ाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर नियंत्रण और चेक पोस्ट की व्यवस्था।
राज्य सरकार और प्रशासन से अपेक्षाएं
सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद राज्य सरकार और देवघर प्रशासन पर यह जिम्मेदारी आ गई है कि वे बाबा मंदिर परिसर के अतिक्रमण और श्रद्धालु सुविधाओं से संबंधित सभी सुझावों पर त्वरित कार्रवाई करें।
मंदिर परिसर झारखंड की धार्मिक पहचान के साथ-साथ राज्य की पर्यटन अर्थव्यवस्था (Jharkhand Tourism Economy) का भी प्रमुख केंद्र है। यहां की सुविधाओं में सुधार से न केवल श्रद्धालुओं को सुविधा होगी, बल्कि स्थानीय रोजगार और व्यवसाय को भी बल मिलेगा।
अतिक्रमण और अव्यवस्था पर स्थानीय प्रतिक्रिया
स्थानीय लोगों और पुजारियों का कहना है कि वर्षों से मंदिर परिसर के चारों ओर अवैध निर्माण बढ़ता जा रहा है, जिससे श्रद्धालुओं के आवागमन में दिक्कतें आती हैं। उनका मानना है कि यदि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार कार्रवाई होती है, तो बाबा मंदिर का स्वरूप और भी भव्य और व्यवस्थित हो जाएगा।
अदालत का संकेत — विकास और आस्था दोनों में संतुलन
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी संकेत दिया कि किसी भी धार्मिक स्थल से अतिक्रमण हटाने के साथ-साथ श्रद्धालुओं की आस्था और परंपरा का सम्मान बनाए रखना भी जरूरी है। विकास कार्यों को इस तरह से लागू किया जाए जिससे बाबा बैद्यनाथ मंदिर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता प्रभावित न हो।
