रांची: झारखंड के सारंडा क्षेत्र को सेंक्चुअरी घोषित करने के विवादित मामले में सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई आठ अक्टूबर को होगी। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायाधीश के विनोद चंद्रन की पीठ में यह मामला विचाराधीन रहेगा। कोर्ट के निर्देशानुसार, मुख्य सचिव सशरीर हाजिर रहेंगे और सुबह 10.30 बजे सुनवाई में उपस्थित होंगे।
सारंडा सेंक्चुअरी विवाद का इतिहास
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने सारंडा के 31,468.25 हेक्टेयर क्षेत्र को सेंक्चुअरी घोषित करने का आदेश दिया था। इसके विपरीत, PCCF ने 57,519.41 हेक्टेयर क्षेत्र को सेंक्चुअरी घोषित करने का प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार को भेजा। NGT के आदेश पर अनुपालन न होने के कारण यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।
कोर्ट की नाराजगी और मुख्य सचिव की उपस्थिति
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की सुस्ती पर नाराजगी जताते हुए वन सचिव को हाजिर होने का निर्देश दिया था। पहले ही सुनवाई में वन सचिव ने शपथ पत्र प्रस्तुत कर 57,519.41 हेक्टेयर क्षेत्र को सेंक्चुअरी घोषित करने की प्रक्रिया की जानकारी दी थी। कोर्ट ने WII की रिपोर्ट मिलने के दो महीने के भीतर सेंक्चुअरी घोषित करने का आदेश भी दिया था।
राज्य सरकार की नई रणनीति
हालांकि, राज्य सरकार ने सेंक्चुअरी घोषित करने के मामले में मंत्रियों की एक समिति बना दी है। सरकार का तर्क है कि 57,519.41 हेक्टेयर में लौह अयस्क का पूरा क्षेत्र शामिल हो जाएगा, जिससे राज्य की विकास गतिविधियों पर प्रभाव पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की प्रक्रिया
मुख्य सचिव की सशरीर उपस्थिति से कोर्ट को सीधे जानकारी मिलेगी और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सरकारी प्रक्रियाओं में किसी प्रकार की देरी न हो। कोर्ट के आदेश के अनुसार, अगर सेंक्चुअरी घोषित करने से पहले कार्यवाही पूरी हो जाती है, तो मुख्य सचिव को सशरीर हाजिर रहने से मुक्त किया जा सकता है।