रांची (झारखंड): झारखंड हाई कोर्ट के नव नियुक्त मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान मंगलवार को रांची पहुंचे। राजधानी के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिकारियों और न्यायिक प्रतिनिधियों द्वारा उनका औपचारिक स्वागत किया गया। 17 जुलाई को वह राजभवन में आयोजित समारोह में राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन के समक्ष मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ लेंगे।
झारखंड हाई कोर्ट को मिला नया चीफ जस्टिस
झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में जस्टिस तरलोक सिंह चौहान की नियुक्ति से न्यायिक व्यवस्था में स्थायित्व आने की उम्मीद जताई जा रही है। अब तक वरिष्ठ न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद कार्यवाहक चीफ जस्टिस के रूप में कार्यरत थे, जो पूर्व मुख्य न्यायाधीश एस.एम. रमेश राव के स्थानांतरण के बाद से यह जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
शपथ ग्रहण समारोह को लेकर राजभवन और हाई कोर्ट में तैयारियां पूरी
राजभवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा चुका है। समारोह सुबह 10 बजे से शुरू होगा, जिसमें राज्यपाल द्वारा न्यायमूर्ति चौहान को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई जाएगी। इस अवसर पर झारखंड हाई कोर्ट के सभी न्यायाधीश, वरिष्ठ अधिवक्ता, राज्य सरकार के प्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहेंगे।
न्यायिक क्षेत्र में समृद्ध अनुभव के साथ पहुंचे हैं जस्टिस चौहान
जस्टिस तरलोक सिंह चौहान का न्यायिक करियर लंबा और विशिष्ट रहा है। वे हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने शिमला में स्कूली शिक्षा प्राप्त की और फिर पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से कानून की पढ़ाई पूरी की। 1989 में उन्होंने हिमाचल प्रदेश स्टेट बार काउंसिल में वकील के रूप में नामांकन कराया।
2014 में उन्हें हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया और उसी वर्ष वे स्थायी न्यायाधीश बने। उनके पास न्यायिक प्रशासन का गहन अनुभव है और देश के विभिन्न कानूनी मंचों पर उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है।
बार काउंसिल ने जताई उम्मीदें
झारखंड स्टेट बार काउंसिल के उपाध्यक्ष राजेश कुमार शुक्ला ने नव नियुक्त मुख्य न्यायाधीश को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उनके अनुभव से झारखंड की न्यायिक प्रणाली को मजबूती मिलेगी और आम जनता को त्वरित न्याय की दिशा में सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे।
झारखंड न्यायपालिका को मिलेगा स्थायित्व
झारखंड हाई कोर्ट में चीफ जस्टिस की नियमित नियुक्ति से लंबित मामलों के निपटारे की गति बढ़ेगी। इससे न्यायालय के प्रशासनिक कार्यों और निर्णय प्रक्रिया में नए दृष्टिकोण और कुशलता की उम्मीद की जा रही है। जस्टिस चौहान का अनुभव झारखंड के न्यायिक सुधारों में अहम भूमिका निभा सकता है।
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