Ramgarh (Jharkhand) — रामगढ़ जिले के कुजू ओपी थाना क्षेत्र स्थित आलोक स्टील प्लांट में एक महिला ठेका मजदूर की मौत के बाद हंगामा खड़ा हो गया। मृतक महिला की पहचान करमा गांव निवासी 57 वर्षीय आशो देवी के रूप में हुई, जो प्लांट में कार्यरत थीं। हादसे के बाद परिजनों और ग्रामीणों ने शव को उठाने से इनकार कर दिया और मुआवजे की मांग को लेकर 48 घंटे तक विरोध प्रदर्शन किया।
Ramgarh News: काम के दौरान बिगड़ी तबीयत, इलाज के दौरान हुई मौत
घटना सोमवार दोपहर की है जब आशो देवी को काम के दौरान अचानक सीने में तेज दर्द की शिकायत हुई। फैक्ट्री प्रबंधन ने तत्काल उन्हें रामगढ़ सदर अस्पताल पहुंचाया, जहां से गंभीर स्थिति को देखते हुए परिजन उन्हें दी होप अस्पताल रांची रोड ले गए। बुधवार को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
रामगढ़ औद्योगिक क्षेत्र में मजदूर सुरक्षा पर सवाल
यह घटना रामगढ़ के औद्योगिक इलाकों में मजदूरों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है। मजदूरों के काम के दौरान हुई तबीयत बिगड़ने की स्थिति में प्राथमिक चिकित्सा सुविधा, समय पर एंबुलेंस और अस्पताल पहुंचाने की जिम्मेदारी अक्सर ठेकेदारों या प्रबंधन पर होती है, जिसे लेकर अक्सर लापरवाही देखी जाती है।
Ramgarh Protest: मुआवजे की मांग पर अड़े परिजन और ग्रामीण
मौत की खबर मिलते ही Jharkhand Liberation Koltu Morcha (JLKM) समर्थित नेता और स्थानीय ग्रामीण प्लांट के बाहर जमा हो गए। उन्होंने 30 लाख रुपये का मुआवजा, परिवार के एक सदस्य को नौकरी और आश्रितों को पेंशन देने की मांग की। आंदोलनकारियों ने शव को उठाने से इनकार कर दिया और प्लांट प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
48 घंटे के प्रदर्शन के बाद बनी मुआवजे पर सहमति
प्लांट प्रबंधन और आंदोलनकारियों के बीच कई दौर की वार्ता हुई। आखिरकार गुरुवार रात पांच लाख रुपये मुआवजा देने की सहमति बनी, जिसके बाद शुक्रवार सुबह शव को उठाया गया और अंतिम संस्कार किया गया।
Ramgarh News: प्लांट प्रशासन पर लापरवाही का आरोप
स्थानीय लोगों का आरोप है कि फैक्ट्री प्रबंधन ने समय पर पर्याप्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं कराई, जिससे आशो देवी की जान नहीं बचाई जा सकी। कई मजदूर संगठनों ने प्रशासन से फैक्ट्रियों की सुरक्षा व्यवस्था और श्रमिकों की निगरानी की मांग की है।
रामगढ़ में औद्योगिक हादसों का बढ़ता ग्राफ
रामगढ़ औद्योगिक क्षेत्र में बीते कुछ वर्षों में काम के दौरान मजदूरों की मौत की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। ऐसे मामलों में अक्सर मुआवजा और न्याय के लिए परिजनों को आंदोलन करना पड़ता है। इससे साफ होता है कि मजदूरों की सुरक्षा और स्वास्थ्य संबंधी नियमों के पालन में लापरवाही बरती जा रही है।
स्थानीय प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल
घटना के बाद कुजू ओपी थाना पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन शुरूआती दौर में प्रशासन की निष्क्रियता को लेकर सवाल उठ रहे हैं। विरोध प्रदर्शन के दौरान भी मौके पर पर्याप्त पुलिस बल तैनात नहीं था, जिससे तनाव और बढ़ने की आशंका बनी रही।
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