रांची | झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के वरिष्ठ नेता मनोज पांडे ने आगामी महागठबंधन की संयुक्त प्रेस वार्ता से पहले मीडिया से बातचीत में अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि बिहार की राजनीति में झारखंड की सहयोगी पार्टी को दरकिनार किया गया है। पांडे का बयान राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि उन्होंने स्पष्ट कहा कि “हेमंत सोरेन जैसा बड़ा दिल बिहार के नेताओं में नहीं है।”
जेएमएम नेता मनोज पांडे ने जताई नाराजगी, कहा – गठबंधन में नहीं दी गई जगह
मनोज पांडे ने कहा कि जब हम चुनाव से बाहर आ गए तो बिहार में हमें गठबंधन का हिस्सा भी नहीं माना गया। उन्होंने आरोप लगाया कि झारखंड में जहां जेएमएम, आरजेडी और कांग्रेस मिलकर सरकार चला रहे हैं, वहीं बिहार में उसी गठबंधन में जेएमएम को नज़रअंदाज़ कर दिया गया।
उन्होंने कहा,
“जो लोग चुनाव लड़ रहे हैं, उनकी प्रेस वार्ता होगी, लेकिन हमारी पार्टी की भावनाएं कहीं न कहीं आहत हुई हैं। हमें उस लायक भी नहीं समझा गया कि हम गठबंधन के साथ मंच साझा कर सकें।”
‘हेमंत सोरेन ने हमेशा दिखाया बड़ा दिल, लेकिन बिहार के नेताओं में वैसी भावना नहीं’
अपने बयान में मनोज पांडे ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने हमेशा सहयोगी दलों के प्रति सम्मान और उदारता दिखाई।
“हेमंत सोरेन ने कई मौकों पर बड़ा दिल दिखाया है, लेकिन बिहार के नेताओं में वह भावना नजर नहीं आई। यह हमारे लिए निराशाजनक है।”
पांडे के इस बयान को राजनीतिक विश्लेषक महागठबंधन की एकता में दरार के संकेत के रूप में देख रहे हैं।
सीट बंटवारे में असहमति से नाराज हुआ जेएमएम
सूत्रों के अनुसार, बिहार विधानसभा चुनाव के लिए राजद (RJD) ने जेएमएम को एक भी सीट नहीं दी, जिससे पार्टी में असंतोष बढ़ गया।
जेएमएम नेताओं का कहना है कि उन्होंने कई बार गठबंधन के शीर्ष नेतृत्व से बात करने की कोशिश की, लेकिन सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बन सकी।
मनोज पांडे ने कहा कि उनकी पार्टी झारखंड में गठबंधन की मजबूती में योगदान दे रही है, फिर भी बिहार में उनकी भूमिका को दरकिनार कर दिया गया।
राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज, महागठबंधन पर उठे सवाल
मनोज पांडे के बयान के बाद बिहार और झारखंड दोनों राज्यों की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। महागठबंधन की एकजुटता, सीट शेयरिंग विवाद, और JMM की भूमिका पर अब नए सिरे से सवाल उठने लगे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार में चुनावी समीकरणों के बीच यह विवाद आने वाले दिनों में गठबंधन की रणनीति और जनाधार पर असर डाल सकता है।
JMM की पीड़ा कायम, गठबंधन में सम्मान की मांग
झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं का कहना है कि उनकी पार्टी हमेशा से समानता और सम्मान के सिद्धांत पर काम करती रही है।
उन्होंने कहा कि बिहार में भी अगर गठबंधन को मजबूत बनाना है, तो साझीदार दलों को समान महत्व देना होगा।
मनोज पांडे के बयान से साफ है कि JMM अब अपनी राजनीतिक पहचान को लेकर अधिक मुखर हो रही है।