दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर पीएम मोदी ने अस्पताल पहुंचकर अर्पित की श्रद्धांजलि
नई दिल्ली: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है। 81 वर्षीय शिबू सोरेन का सोमवार सुबह दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया। वे पिछले कई दिनों से स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं से जूझ रहे थे। उनके निधन की जानकारी मिलते ही राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर फैल गई।
PM Modi ने सर गंगाराम अस्पताल पहुंचकर जताया शोक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिबू सोरेन के निधन पर व्यक्तिगत रूप से शोक व्यक्त करते हुए सोमवार को सर गंगाराम अस्पताल पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की और परिवारजनों को ढांढस बंधाया। इससे पहले प्रधानमंत्री ने हेमंत सोरेन को फोन कर गहरी संवेदना भी प्रकट की थी।
प्रधानमंत्री की यह उपस्थिति इस बात को दर्शाती है कि शिबू सोरेन का कद केवल झारखंड की राजनीति तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी मजबूत पहचान बनाई थी।
राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई की तैयारियां
शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर सोमवार देर शाम दिल्ली से रांची लाया जाएगा। एयरपोर्ट से उनका पार्थिव शरीर मुख्यमंत्री आवास पहुंचाया जाएगा। मंगलवार सुबह उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए झामुमो पार्टी कार्यालय, फिर झारखंड विधानसभा ले जाया जाएगा, जहां उन्हें राजकीय सम्मान के साथ अंतिम श्रद्धांजलि दी जाएगी।
इसके पश्चात पार्थिव शरीर को रामगढ़ जिले के नेमरा गांव, उनके पैतृक निवास ले जाया जाएगा, जहां पूरे विधि-विधान से अंतिम संस्कार संपन्न होगा।
तीन दिन का राजकीय शोक, सरकारी कार्यक्रम स्थगित
झारखंड सरकार ने शिबू सोरेन के निधन पर तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। इस दौरान सभी सरकारी कार्यालयों में कामकाज स्थगित रहेगा और कोई भी सांस्कृतिक या सरकारी कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाएगा। राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया जाएगा।
शिबू सोरेन: आदिवासी अधिकारों की बुलंद आवाज
शिबू सोरेन झारखंड के सबसे कद्दावर नेताओं में गिने जाते थे। वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने और आठ बार लोकसभा सांसद चुने गए। साथ ही वे केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे। उन्होंने झारखंड के आदिवासियों, वंचितों और किसानों के अधिकारों के लिए आजीवन संघर्ष किया। उन्हें राज्य में ‘दिशोम गुरु’ के नाम से सम्मानित किया जाता है, जिसका अर्थ होता है “जनजातीयों का मार्गदर्शक”।
राजनीति से सामाजिक संघर्ष तक: शिबू सोरेन की विरासत
शिबू सोरेन की राजनीतिक यात्रा महज सत्ता के गलियारों तक सीमित नहीं रही। उन्होंने जल, जंगल और जमीन के अधिकारों की लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाई। झारखंड राज्य की स्थापना में उनकी भूमिका निर्णायक मानी जाती है। उनकी विचारधारा और संघर्ष आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल बनी रहेगी।
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