Bihar Politics News in Hindi: बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है, जहां सभी प्रमुख नेता अपनी-अपनी यात्राओं से जनता को साधने की कोशिश में जुट गए हैं।
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने अपनी ‘आभार यात्रा’ शुरू कर दी है और इसके जवाब में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं।
वहीं, सीमांचल क्षेत्र में प्रभाव रखने वाले पप्पू यादव ने भी अपनी यात्रा की घोषणा कर दी है, जो वक्फ बोर्ड के मुद्दे पर केंद्रित होगी।
बिहार की राजनीति में यात्राओं का महत्व
बिहार में 2025 के विधानसभा चुनावों की तैयारी अभी से शुरू हो चुकी है।
2024 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ और ‘न्याय यात्रा’ ने राजनीति के मैदान में नए आयाम जोड़े हैं।
इन यात्राओं से अन्य राजनीतिक दलों पर भी दबाव बढ़ा है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी इस माहौल को भांपते हुए यात्रा निकालने की योजना बना रहे हैं, जबकि आरजेडी नेता तेजस्वी यादव पहले से ही राज्य भर में अपनी यात्रा जारी रखे हुए हैं।
नीतीश कुमार का ‘नया निश्चय’

नीतीश कुमार की छवि चाहे ‘पलटी मारने’ वाले नेता की हो, लेकिन वह जानते हैं कि 2025 का चुनाव उनके राजनीतिक करियर के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
उन्होंने तेजस्वी यादव की आभार यात्रा के जवाब में अपनी यात्रा निकालने की योजना बना ली है। जेडीयू ने इसके लिए तेजी से तैयारियां शुरू कर दी हैं।
नीतीश कुमार चाहते हैं कि इस बार चुनावी मैदान में कोई कमी न रह जाए, और इसके लिए उन्होंने पार्टी संगठन में भी कई बदलाव किए हैं।
जेडीयू के संगठन में बदलाव
नीतीश कुमार ने जेडीयू के संगठन को एक नई दिशा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। पार्टी के 13 विभागों के नए प्रभारियों की नियुक्ति की गई है और 243 विधानसभा सीटों के लिए नए प्रभारी भी बनाए गए हैं।
जेडीयू ने हाल ही में बिहार प्रदेश कार्यकारिणी को भंग कर नई कार्यकारिणी का गठन किया है। उमेश कुशवाहा के नेतृत्व में नई कार्यकारिणी में 10 उपाध्यक्ष, 49 महासचिव, 46 सचिव और 9 प्रवक्ता नियुक्त किए गए हैं।
पप्पू यादव की यात्रा: सीमांचल में बड़ा दांव
सीमांचल क्षेत्र, जो झारखंड और बंगाल से सटा हुआ है, में अल्पसंख्यक वोटरों का दबदबा है। पप्पू यादव ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर वक्फ बोर्ड के खिलाफ संवैधानिक यात्रा की घोषणा की।
यह यात्रा 29 सितंबर को अररिया, 30 सितंबर को किशनगंज, और 31 सितंबर को कटिहार से गुजरते हुए सीमांचल के विभिन्न हिस्सों में जाएगी और अंत में पटना के गांधी मैदान पहुंचेगी।
पप्पू यादव का यह दांव उनकी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, खासकर कांग्रेस के साथ उनके करीबी संबंधों को देखते हुए।
कांग्रेस के गढ़ में पप्पू यादव का खेल
किशनगंज और कटिहार जैसे इलाके कांग्रेस के मजबूत गढ़ माने जाते हैं।
पप्पू यादव, जो पहले निर्दलीय चुनाव लड़े थे, अब अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर चुके हैं।
ऐसे में उनकी यात्रा कांग्रेस के लिए एक चुनौती साबित हो सकती है। अब देखना यह होगा कि कांग्रेस इस यात्रा पर क्या प्रतिक्रिया देती है और इसका आगामी चुनावों पर क्या असर पड़ता है।
तेजस्वी यादव की आभार यात्रा

तेजस्वी यादव भले ही लोकसभा चुनाव में अपेक्षित सफलता हासिल नहीं कर पाए हों, लेकिन उनके समर्थकों का उत्साह कम नहीं हुआ है।
वह इस बार विधानसभा चुनाव के लिए पूरी तैयारी में जुट गए हैं। पिछली बार आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन सरकार बनाने में असफल रही थी।
इस बार तेजस्वी यादव आरक्षण को संविधान की नौंवी अनुसूची में शामिल कराने के मुद्दे पर जोर दे रहे हैं और कुशवाहा वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए अभियान चला रहे हैं।
2025 की लड़ाई: कौन बनेगा बिहार का अगला मुख्यमंत्री?
बिहार की राजनीति में यात्रा का खेल अब और दिलचस्प हो गया है। एक तरफ तेजस्वी यादव की आभार यात्रा है, तो दूसरी ओर नीतीश कुमार भी अपनी राजनीतिक यात्रा की तैयारी में हैं।
वहीं, पप्पू यादव सीमांचल क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। 2025 का विधानसभा चुनाव बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में बड़े बदलाव ला सकता है और यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन इस लड़ाई में बाजी मारता है।
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