रांची: झारखंड से चार प्रमुख टेक्सटाइल कंपनियों के ओडिशा पलायन को लेकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने इस घटना को राज्य की औद्योगिक नीति की विफलता और सरकार की सबसे बड़ी नाकामी बताया है। बाबूलाल मरांडी ने कहा कि यह कदम झारखंड के औद्योगिक माहौल पर गंभीर सवाल खड़ा करता है और इससे राज्य में रोजगार संकट और बढ़ेगा।
झारखंड से चार टेक्सटाइल कंपनियों के पलायन पर बाबूलाल मरांडी का आरोप
बाबूलाल मरांडी ने अपने एक्स (X) हैंडल पर पोस्ट करते हुए लिखा कि “चार बड़ी टेक्सटाइल कंपनियों का ओडिशा शिफ्ट होना झारखंड के लिए औद्योगिक झटका है।” उन्होंने कहा कि राज्य की टेक्सटाइल नीति (Textile Policy of Jharkhand) केवल कागजों तक सीमित रह गई है और उद्योगपतियों को कोई व्यावहारिक लाभ नहीं मिल रहा है।
मरांडी ने सरकार से पूछा कि जब उद्योगपतियों को बिजली, भूमि, परिवहन और सुरक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलेंगी, तो वे झारखंड में निवेश क्यों करेंगे?
बाबूलाल मरांडी ने सरकार की नीतियों को बताया ‘असफल’
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि झारखंड सरकार उद्योग और निवेश के क्षेत्र में पूरी तरह असफल साबित हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि जहां पड़ोसी राज्यों जैसे ओडिशा, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में निवेशकों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है, वहीं झारखंड में निवेश हतोत्साहित हो रहा है।
मरांडी ने कहा कि उद्योगपतियों को यहां नीतिगत अस्थिरता, नौकरशाही की जटिलताएं और कानून व्यवस्था की खराब स्थिति झेलनी पड़ रही है।
“यूरोप दौरे से नहीं मिला कोई औद्योगिक परिणाम”
बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर भी निशाना साधते हुए कहा कि निवेश लाने के नाम पर सीएम का यूरोप दौरा (Europe Visit) केवल सरकारी धन की बर्बादी साबित हुआ। उन्होंने कहा कि उस दौरे में जनता के करोड़ों रुपये खर्च हुए, लेकिन झारखंड में निवेश का कोई ठोस परिणाम नहीं दिखा।
मरांडी ने कहा कि जब झारखंड के युवा रोजगार के लिए बाहर जा रहे हैं, और अब उद्योग भी राज्य छोड़ रहे हैं, तो यह सरकार की नीतिगत नाकामी का सबसे बड़ा प्रमाण है।
भय और असुरक्षा के कारण उद्योग छोड़ रहे हैं झारखंड
मरांडी ने कहा कि झारखंड में अपराध और भ्रष्टाचार (Crime and Corruption) की स्थिति चिंताजनक है। उद्योगपतियों को भय और असुरक्षा के माहौल में काम करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य में सरकारी असहयोग, रिश्वतखोरी और राजनीतिक दबाव के कारण निवेशक अपने व्यवसाय बंद करने या दूसरे राज्यों में स्थानांतरित करने को विवश हैं।
भाजपा नेता ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने शीघ्र कदम नहीं उठाए तो झारखंड की औद्योगिक छवि (Industrial Image) को अपूरणीय क्षति हो सकती है और राज्य में बेरोजगारी (Unemployment) का संकट और गहरा जाएगा।
औद्योगिक पलायन से झारखंड की अर्थव्यवस्था को झटका
चार टेक्सटाइल कंपनियों के ओडिशा पलायन से झारखंड की राज्य अर्थव्यवस्था (State Economy) को झटका लगने की आशंका है। उद्योग जगत के विशेषज्ञों के अनुसार, इन कंपनियों के जाने से न केवल स्थानीय रोजगार प्रभावित होगा बल्कि राज्य के राजस्व और उत्पादन पर भी असर पड़ेगा।
सूत्रों के अनुसार, ये कंपनियां पहले झारखंड में टेक्सटाइल क्लस्टर और गारमेंट मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स चला रही थीं, लेकिन अब वे अपने उत्पादन केंद्र ओडिशा में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया में हैं, जहां उन्हें सरकारी रियायतें और उद्योगिक सहायता अधिक मिल रही है।
