जामताड़ा: झारखंड के जामताड़ा जिले से एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां शहर के गांधी मैदान में हजारों मेडिकल वेस्ट सामग्री — जिनमें ब्लड टेस्ट की शीशियां शामिल हैं — खुले में पड़ी मिलीं। इन शीशियों में खून के अंश पाए जाने की संभावना जताई जा रही है, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ गया है। यह मामला न केवल स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है, बल्कि स्थानीय प्रशासन की लापरवाही को भी उजागर करता है।
गांधी मैदान में फेंका गया मेडिकल वेस्ट, संक्रमण का खतरा बढ़ा
गांधी मैदान जामताड़ा का प्रमुख सार्वजनिक स्थल है, जहां प्रतिदिन सैकड़ों लोग टहलने, खेलकूद और व्यायाम के लिए आते हैं। ऐसे में मेडिकल वेस्ट जैसे खतरनाक जैविक अवशेषों का खुले में मिलना लोगों की सुरक्षा और स्वास्थ्य दोनों के लिए गंभीर खतरा बन गया है।
स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसे कचरे के कारण बच्चों और बुजुर्गों में संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।
स्थानीय लोगों का गुस्सा, जांच और सफाई की मांग
इस घटना के बाद जामताड़ा में स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश देखने को मिला। नागरिकों ने नगर परिषद और स्वास्थ्य विभाग से तुरंत कार्रवाई की मांग की है। कई सामाजिक संगठनों ने इसे “जन स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़” बताते हुए दोषियों की पहचान और सख्त दंड की मांग की है।
स्वास्थ्य विभाग की सफाई: “जांच के बाद होगी कार्रवाई”
जामताड़ा सिविल सर्जन डॉ. आनंद मोहन सोरेन ने कहा कि मेडिकल वेस्ट को खुले में फेंकना बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट नियमों का सीधा उल्लंघन है। उन्होंने आश्वासन दिया कि पूरे मामले की जांच की जाएगी और जो भी जिम्मेदार पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि स्वास्थ्य संस्थानों को मेडिकल वेस्ट को निस्तारित करने के लिए अधिकृत एजेंसी को देना होता है, न कि खुले में फेंकना।
डॉ. इरफान अंसारी का आरोप: “यह भाजपा की साजिश”
घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए जामताड़ा विधायक डॉ. इरफान अंसारी ने इसे एक “राजनीतिक षड्यंत्र” बताया। उन्होंने कहा कि,
“यह पूरी तरह भाजपा की साजिश लगती है। मेरा और मेरे क्षेत्र का नाम खराब करने के लिए इस तरह की हरकत की गई है।”
उन्होंने कहा कि वह स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं और ऐसे कृत्य क्षेत्र की छवि धूमिल करने की कोशिश हैं।
स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पहले भी रही विवादों में
यह कोई पहला मामला नहीं है जब झारखंड का स्वास्थ्य विभाग सवालों के घेरे में आया हो। हाल ही में चाईबासा में थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने का मामला सामने आया था। उस घटना ने विभाग की निगरानी और जवाबदेही पर गंभीर प्रश्न उठाए थे।
अब जामताड़ा में मेडिकल वेस्ट मिलने की घटना ने एक बार फिर स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति पर चिंता बढ़ा दी है।
प्रशासनिक लापरवाही पर उठे गंभीर सवाल
विशेषज्ञों का कहना है कि मेडिकल वेस्ट का अनुचित निस्तारण न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि यह गंभीर बीमारियों जैसे हेपेटाइटिस, एचआईवी और संक्रमणों के प्रसार का कारण बन सकता है।
गांधी मैदान जैसे सार्वजनिक क्षेत्र में ऐसे कचरे का मिलना साफ तौर पर दिखाता है कि स्वास्थ्य विभाग और नगर प्रशासन के बीच समन्वय की भारी कमी है।
राजनीतिक सरगर्मी तेज, जांच की मांग
मामले के सामने आने के बाद से ही जामताड़ा और रांची दोनों जगह राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। भाजपा नेताओं ने भी इस घटना को लेकर प्रशासन से जवाब मांगा है, जबकि कांग्रेस समर्थकों का कहना है कि “विपक्ष इस मुद्दे को अनावश्यक रूप से राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहा है।”
इस बीच, जिला प्रशासन ने पूरे क्षेत्र की सफाई कराने और सैंपल की जांच के आदेश दे दिए हैं।
