LOHARDAGA (JHARKHAND): झारखंड के लोहरदगा जिले से एक गंभीर और सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां प्रतिबंधित नक्सली संगठन PLFI से जुड़े रहे पूर्व नक्सली संजय भगत की हत्या कर दी गई। सोमवार सुबह अरकोसा पत्थर खदान क्षेत्र स्थित एक तालाब से उनका शव बरामद किया गया, जो पत्थरों से बंधा हुआ था। इस घटना के बाद पूरे क्षेत्र में दहशत और भय का माहौल है।
पूर्व नक्सली संजय भगत का शव तालाब में मिला, लापता थे तीन दिन से
मृतक की पहचान 28 वर्षीय संजय भगत, निवासी भक्सो हरा टोली, के रूप में की गई है। परिजनों के अनुसार वह पिछले तीन दिनों से लापता थे। सोमवार सुबह स्थानीय ग्रामीणों ने अरकोसा के एक तालाब में पत्थर से बंधा शव देखा, जिसके बाद तुरंत सदर थाना पुलिस को सूचना दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा और मामले की जांच शुरू की।
हत्या की आशंका, शव पर मिले गंभीर चोटों के निशान
पुलिस द्वारा किए गए प्रारंभिक निरीक्षण में शव पर कई गहरे चोटों के निशान पाए गए हैं, जिससे प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट होता है कि संजय भगत की बेरहमी से हत्या की गई है। परिजनों ने आरोप लगाया है कि इस हत्या के पीछे जमीन विवाद की पुरानी रंजिश हो सकती है। उन्होंने प्रशासन से दोषियों की शीघ्र गिरफ्तारी की मांग की है।
लोहरदगा में हत्या का मामला दर्ज, पुलिस की कार्रवाई तेज
सदर थाना पुलिस ने हत्या की प्राथमिकी दर्ज कर ली है और संजय भगत के हत्यारों की तलाश में छापेमारी अभियान शुरू कर दिया है। हालांकि समाचार लिखे जाने तक कोई गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। पुलिस अधीक्षक कार्यालय ने पुष्टि की है कि इस मामले की जांच गंभीरता से की जा रही है और जल्द ही आरोपियों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा।
पूर्व नक्सली की हत्या से नक्सल प्रभावित क्षेत्र में दहशत
संजय भगत पूर्व में पीएलएफआई (PLFI) संगठन से जुड़े हुए थे और कुछ वर्षों पहले उन्होंने आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में लौटने का प्रयास किया था। ऐसे में उनकी हत्या ने एक बार फिर से इलाके में नक्सली कनेक्शन और पुराने दुश्मनी की आशंका को जन्म दिया है। यह मामला लोहरदगा नक्सल क्षेत्र की संवेदनशीलता को भी उजागर करता है, जहां पूर्व नक्सलियों को समाज में पुनर्स्थापित करना एक चुनौती बना हुआ है।
PLFI से जुड़ा था मृतक संजय भगत, मुख्यधारा में लौटने की थी कोशिश
स्थानीय सूत्रों के अनुसार संजय भगत ने एक समय PLFI संगठन के लिए काम किया था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से वे शांतिपूर्ण जीवन जी रहे थे और मुख्यधारा में लौटने की कोशिश कर रहे थे। इस घटना ने प्रशासन और समाज के पुनर्वास प्रयासों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
