रांची: झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के चौथे दिन सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने आ गए। सुबह 11 बजकर 8 मिनट पर कार्यवाही शुरू हुई, लेकिन कुछ ही पलों बाद दोनों पक्षों ने वेल में उतरकर जोरदार हंगामा किया। स्थिति बिगड़ती देख स्पीकर रबींद्र नाथ महतो ने सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दी।
झारखंड विधानसभा मानसून सत्र में विपक्ष का प्रदर्शन
विपक्षी दलों के विधायकों ने विश्वविद्यालय विधेयक को लेकर सदन में नारेबाजी की। उनका कहना था कि यह विधेयक छात्रों और शिक्षा व्यवस्था के हित में नहीं है। विपक्ष ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जनता से जुड़े मुद्दों को लगातार अनदेखा किया जा रहा है।
सत्ता पक्ष और विपक्ष का वेल में हंगामा
विपक्षी विधायकों के साथ सत्ता पक्ष के कुछ सदस्य भी वेल में उतर आए, जिससे माहौल और गरमा गया। नारेबाजी और तीखी बहस के बीच सदन की कार्यवाही प्रभावित होती रही। स्पीकर महतो ने विधायकों को चेतावनी देते हुए कहा कि प्रश्नकाल का इसी तरह से हश्र हुआ तो आगे प्रश्नों की संख्या घटाई जाएगी और इसकी पूरी जिम्मेदारी सदस्यों की होगी।
प्रश्नकाल बाधित, स्पीकर की चेतावनी
स्पीकर ने स्पष्ट किया कि इस बार प्रश्नकाल में एक भी सवाल का जवाब नहीं दिया जा सका। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में इस पर गंभीरता से विचार किया जाएगा। बावजूद इसके विधायकों का हंगामा शांत नहीं हुआ और नतीजा यह हुआ कि सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
सदन में उठी विशेष मांगें
इसी दौरान विधायक प्रदीप यादव ने सदन में पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड आंदोलन के पुरोधा शिबू सोरेन को भारत रत्न देने की मांग उठाई। इसके साथ ही विधानसभा परिसर में भीमराव अंबेडकर, सिद्धू-कान्हू और शिबू सोरेन की प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव भी रखा गया।
इसे भी पढ़ें
झारखंड विधानसभा सत्र के दौरान मांडू विधायक धरने पर बैठे, प्रखंड गठन की मांग
