रांची: झारखंड विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2022-23 की महालेखाकार (AG) की अनुपालन रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट में पथ निर्माण विभाग और ग्रामीण विकास विभाग की कई योजनाओं पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। इसमें कहा गया है कि दोनों विभागों ने मिलकर लगभग 41.10 करोड़ रुपये खर्च किए, लेकिन इस खर्च से आम लोगों को कोई प्रत्यक्ष लाभ नहीं मिल पाया।
पथ निर्माण विभाग की परियोजनाओं पर सवाल
AG रिपोर्ट के अनुसार पथ निर्माण विभाग ने सड़क चौड़ीकरण और पुल निर्माण पर करोड़ों रुपये खर्च किए, लेकिन परियोजनाओं की अपूर्णता और समन्वय की कमी के कारण जनता को फायदा नहीं हो सका।
- सड़क चौड़ीकरण कार्य में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया अधूरी रह गई। विभाग के कार्यपालक अभियंता और भू-अर्जन पदाधिकारी के बीच तालमेल की कमी के कारण 19.15 करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद जनता को सड़क चौड़ीकरण का लाभ नहीं मिल पाया।
- इसी तरह, दामोदर और गवई नदी पर पुल निर्माण के लिए 15.09 करोड़ रुपये खर्च किए गए। पुल का निर्माण तो हुआ, लेकिन उस तक पहुंचने के लिए मार्ग ही नहीं बनाया गया। भूमि अधिग्रहण न होने से पुल बेकार साबित हुआ और लोगों को इसका लाभ नहीं मिला।
ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओं का उपयोग नहीं
महालेखाकार की रिपोर्ट ने ग्रामीण विकास विभाग की परियोजनाओं में भी खामियां उजागर की हैं।
- बोकारो जिले के चंदनकियारी प्रखंड में एक मॉलनुमा भवन का निर्माण किया गया। इस पर 5.09 करोड़ रुपये खर्च हुए, लेकिन यह भवन आज तक उपयोग में नहीं लाया जा सका।
- विभाग ने वेब-आधारित अकाउंट मैनेजमेंट सिस्टम विकसित करने पर 1.77 करोड़ रुपये खर्च किए। लेकिन तकनीकी दिक्कतों के कारण यह प्रणाली अभी तक कार्यरत नहीं हो पाई।
अन्य विभागों पर भी उठे सवाल
AG की रिपोर्ट में केवल पथ निर्माण और ग्रामीण विकास ही नहीं बल्कि अन्य विभागों की योजनाओं पर भी सवाल खड़े हुए।
- कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग ने जनवरी से जून 2014 के बीच 16 शीतागार और छंटाई केंद्रों पर 3.67 करोड़ रुपये खर्च किए। लेकिन आज तक इनमें काम शुरू नहीं हुआ।
- अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने धालभूमगढ़ (जमशेदपुर) में 50 बिस्तरों वाला ग्रामीण अस्पताल बनाया। इस पर 1.55 करोड़ रुपये खर्च हुए, लेकिन तीन साल बाद भी अस्पताल चालू नहीं हो सका।
विधानसभा में उठी प्रतिक्रिया
AG रिपोर्ट पेश होते ही विधानसभा में विपक्ष ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया। विपक्षी विधायकों का कहना है कि करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी यदि जनता को लाभ नहीं मिल पा रहा है, तो यह गंभीर लापरवाही है। वहीं सत्ता पक्ष ने कहा कि जिन योजनाओं में गड़बड़ियां पाई गई हैं, उनकी जिम्मेदारी तय की जाएगी और सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे।
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