झारखंड: झारखंड के लातेहार और पलामू जिलों के वे पहाड़ी इलाके, जो एक समय माओवादी गतिविधियों के लिए बदनाम थे, अब धीरे-धीरे सामान्य जीवन की ओर लौट रहे हैं। जयगिर, बूढ़ापहाड़, नावाटोली, बहेराटोली, हेसातु जैसे इलाकों में, जहां कभी हर घर से एक बच्चे की मांग की जाती थी, आज बच्चे स्कूल जा रहे हैं और लोग बिना डर के बाजारों में दिख रहे हैं।
सुरक्षाबलों द्वारा चलाए गए ऑपरेशन ऑक्टोपस, ऑपरेशन नई दिशा और सघन तलाशी अभियानों ने माओवादियों की कमर तोड़ दी है। अब इन इलाकों में पुलिस चौकियां स्थापित हो चुकी हैं और मुख्य सड़कों से लेकर आंतरिक मार्गों तक निर्माण कार्य जारी है।
Jharkhand Maoist Impact: हर घर से बच्चा मांगने की प्रथा बंद
माओवादियों द्वारा जबरन बच्चों की भर्ती की घटनाएं अब बीते कल की बात होती जा रही हैं। जयगिर और बूढ़ापहाड़ जैसे इलाकों में कभी फरमान जारी होता था कि हर घर से एक बच्चा दस्ते को दिया जाए। विरोध करने पर ग्रामीणों को धमकाया जाता था।
बहेराटोली निवासी बुजुर्ग शंकर उरांव ने बताया कि 2018 में उनके गांव से 5 बच्चों को उठाया गया था, लेकिन ग्रामीणों के तीव्र विरोध के चलते उन्हें वापस छोड़ा गया। वहीं जयगिर के ग्रामीणों का कहना है कि अब हालात काफी बदल चुके हैं और माओवादी गतिविधियों में भारी गिरावट आई है।
Latehar-Palamu Maoist Case Studies: बदले हालात की जमीनी तस्वीर
केस स्टडी 1 (जयगिर, 2023-24):
माओवादी नेता छोटू खरवार द्वारा दस्ते में शामिल किए गए दो बच्चों की घर वापसी पर पूरे गांव में पूजा व स्वागत कार्यक्रम आयोजित हुआ। ग्रामीणों की यह जीत मनोबल बढ़ाने वाली रही।
केस स्टडी 2 (बहेराटोली, 2018):
माओवादियों ने पांच बच्चों का अपहरण किया, लेकिन ग्रामीणों के प्रतिरोध ने उन्हें वापसी के लिए विवश कर दिया।
केस स्टडी 3 (छिपादोहर, 2016):
सुरक्षाबलों ने सर्च ऑपरेशन के दौरान एक किशोर को माओवादियों के चंगुल से मुक्त कराया। इस तरह की कार्रवाइयों से क्षेत्र में विश्वास का माहौल बना।
Jharkhand Development in Maoist Areas: अब शिक्षा, सड़क और सुरक्षा
बूढ़ापहाड़, हेसातु और जयगिर जैसे इलाकों में अब 2000 से अधिक सुरक्षा बल तैनात हैं। गांवों में सरकारी योजनाएं लागू हो रही हैं, शौचालय निर्माण से लेकर राशन वितरण तक की व्यवस्था दुरुस्त हो रही है। स्कूलों में उपस्थिति बढ़ी है और खेती-किसानी का रुझान भी फिर से जगा है।
ग्रामीण राजकुमार भुइयां बताते हैं कि अब बच्चे बिना डर स्कूल जाते हैं। पहले जब भी कोई अनजान आता था, पूरा गांव सहम जाता था, लेकिन अब पुलिस की नियमित गश्ती ने सुरक्षा का माहौल बनाया है।
Jharkhand Security Forces and Community Policing: नक्सल बेल्ट में बढ़ा भरोसा
पलामू रेंज के आईजी सुनील भास्कर के अनुसार, सामुदायिक पुलिसिंग ने माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव लाया है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों और प्रशासन की संयुक्त कार्यशैली से ग्रामीणों में विश्वास पैदा हुआ है।
मौजूदा रणनीति में केवल माओवादी गतिविधियों को कुचलना ही नहीं, बल्कि ग्रामीणों के बीच विश्वास स्थापित कर मुख्यधारा से जोड़ना भी प्राथमिकता है। यही कारण है कि कई पूर्व नक्सली अब आत्मसमर्पण कर सामान्य जीवन अपना रहे हैं।
मुख्यधारा से जुड़ रहा है पहाड़ी क्षेत्र
आज का दृश्य:
- स्कूलों में नियमित पढ़ाई
- बाजारों में बढ़ती चहल-पहल
- निर्माणाधीन सड़कें
- स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति में सुधार
- पंचायत स्तर पर योजनाओं की निगरानी
स्थानीय प्रशासन और पुलिस विभाग द्वारा गठित “ग्राम रक्षा दल” जैसी पहलें भी लोगों को आत्मनिर्भर और संगठित बना रही हैं। ग्रामीणों में अब डर की जगह आत्मविश्वास दिखाई दे रहा है।
Jharkhand Maoist Free Zones: नक्सल मुक्त हो रहे पहाड़
राज्य सरकार और केंद्र द्वारा संयुक्त प्रयासों से लातेहार और पलामू के जंगल व पहाड़ी इलाकों को नक्सल मुक्त घोषित करने की दिशा में कदम तेजी से बढ़ाए जा रहे हैं। हाल ही में किए गए एनकाउंटर और सरेंडर की घटनाएं इस बात की पुष्टि करती हैं कि अब माओवादी संगठनों की पकड़ कमजोर हो रही है।