Ranchi News: झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य के गृह, कारागार एवं आपदा प्रबंधन विभाग से वर्ष 2018 से अब तक हुई पुलिस कस्टडी और न्यायिक हिरासत में मौतों का पूरा ब्योरा मांगा है। अदालत ने विभाग के सचिव को व्यक्तिगत हलफनामा दायर कर जानकारी प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
पुलिस कस्टडी और न्यायिक हिरासत पर हाईकोर्ट का सख्त रुख
सुनवाई के दौरान अदालत ने यह स्पष्ट किया कि हिरासत में हुई किसी भी मृत्यु का विवरण संबंधित मजिस्ट्रेट के संज्ञान में लाना अनिवार्य है। साथ ही, ऐसे मामलों में सीआरपीसी की धारा 176 (1-ए) या भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 196 (2) के तहत न्यायिक जांच कराना आवश्यक है।
जनहित याचिका के आधार पर हुई सुनवाई
यह मामला एक जनहित याचिका (PIL) के आधार पर कोर्ट के सामने आया, जिसमें यह मांग की गई थी कि राज्य सरकार को हिरासत में हुई सभी मौतों की न्यायिक जांच कराने का आदेश दिया जाए। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि ऐसे मामलों की जांच निष्पक्ष तरीके से होना जरूरी है, ताकि जिम्मेदारियों का निर्धारण हो सके।
विधानसभा में रखे गए आंकड़े बने आधार
याचिकाकर्ता ने झारखंड विधानसभा में पेश किए गए एक आधिकारिक दस्तावेज का हवाला दिया। दस्तावेज के अनुसार, 2018 से 2021 तक राज्य में लगभग 166 लोगों की मौत हिरासत में हुई। यह आंकड़ा गंभीर सवाल खड़े करता है और इसी आधार पर अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा।
अदालत ने दिए हलफनामा दाखिल करने के निर्देश
हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने गृह विभाग के सचिव को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। अदालत ने यह भी पूछा है कि अब तक कितने मामलों में मजिस्ट्रेट को जानकारी दी गई और कितने मामलों में न्यायिक जांच कराई गई।
अगली सुनवाई की तारीख तय
इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 25 सितंबर निर्धारित की गई है। तब तक गृह विभाग से विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
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