रांची : झारखंड में शराब घोटाले को लेकर सियासत एक बार फिर गर्मा गई है। नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया है कि एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) ने जानबूझकर 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल नहीं की, जिससे मामले में आरोपी को जमानत मिलने का रास्ता आसान हो गया।
बाबूलाल मरांडी का आरोप शराब घोटाले पर
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि लगभग 1000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में हेमंत सोरेन के पूर्व सचिव को बचाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से आरोप लगाया कि यह पूरा खेल सरकार की मिलीभगत से रचा गया, ताकि आरोपी को कानूनी सुरक्षा मिल सके।
90 दिनों में चार्जशीट दाखिल न होने से जमानत आसान
कानूनी प्रावधान के अनुसार, किसी भी गिरफ्तारी के बाद 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल करना आवश्यक होता है। बाबूलाल का आरोप है कि एसीबी ने इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया, जिससे आरोपी को स्वतः जमानत पाने का लाभ मिल गया।
ईडी जांच प्रभावित करने का आरोप
मरांडी ने यह भी कहा कि सरकार ने पूर्व सचिव की गिरफ्तारी का षड्यंत्र इसलिए रचा, ताकि ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की जांच प्रभावित हो और सबूत नष्ट किए जा सकें। उन्होंने ईडी से आग्रह किया कि जनता की गाढ़ी कमाई की इस लूट में शामिल भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कड़ी और निष्पक्ष कार्रवाई की जाए।
झारखंड शराब घोटाला और सरकार की भूमिका पर सवाल
यह मामला सिर्फ शराब घोटाले तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सरकार की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि अगर समय पर चार्जशीट दाखिल की जाती तो आरोपी को राहत नहीं मिलती। वहीं, बाबूलाल मरांडी ने इसे राजनीतिक संरक्षण प्राप्त घोटाला करार दिया है।
जनता के हजारों करोड़ की लूट का मामला
मरांडी का कहना है कि यह मामला जनता के हजारों करोड़ रुपये की लूट से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार रोकने और न्याय सुनिश्चित करने के लिए ईडी और अदालत को सख्त कदम उठाने होंगे।
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