आदित्यपुर: झारखंड हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की अपील को खारिज कर दिया। अदालत ने मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (एमएसीटी) द्वारा दिए गए ₹11.45 लाख मुआवजे के आदेश को बरकरार रखा। यह मुआवजा 58 वर्षीय इजारत अंसारी की विधवा सुंदरी बीबी और उनके परिवार को दिया गया, जो 2021 में एक सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवा बैठे थे।
घटना का विवरण: तेज रफ्तार और लापरवाही बनी दुर्घटना का कारण
कैसे हुआ हादसा?
यह दुर्घटना 24 दिसंबर 2021 को धनबाद जिले के जी.टी. रोड पर रंगबांध मोड़ के पास हुई। पीड़ित, इजारत अंसारी, सड़क पार कर रहे थे, जब एक तेज और लापरवाही से चल रही मोटरसाइकिल (पंजीकरण संख्या: JH-10BQ-9650) ने उन्हें टक्कर मार दी।
अंसारी को गंभीर चोटें आईं और पहले उन्हें एसएनएमएमसीएच धनबाद में भर्ती कराया गया। उनकी स्थिति बिगड़ने पर रांची के रिम्स में रेफर किया गया, जहां 2 जनवरी 2022 को उनकी मौत हो गई।
विधवा और परिवार का दावा: न्याय की लड़ाई
मुआवजे की मांग
इजारत अंसारी की विधवा, सुंदरी बीबी, ने मोटर वाहन अधिनियम के तहत मुआवजे के लिए दावा दायर किया। उन्होंने अपने परिवार की आर्थिक क्षति और अंसारी की मौत के लिए जिम्मेदार मोटरसाइकिल चालक को दोषी ठहराया।
बीमा कंपनी का इंकार
मोटरसाइकिल का बीमा आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के पास था। बीमाकर्ता ने दावा खारिज करने की कोशिश की और कहा कि दुर्घटना में मोटरसाइकिल नहीं, बल्कि एक हाइवा ट्रक शामिल था।
एमएसीटी का फैसला: ठोस साक्ष्यों के आधार पर निर्णय
एफआईआर और चश्मदीदों पर भरोसा
धनबाद में एमएसीटी ने एफआईआर, चार्जशीट, और चश्मदीद गवाहों के बयान को आधार बनाते हुए मोटरसाइकिल चालक को दुर्घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया।
गवाह का बयान
दुर्घटना के गवाह मोहम्मद खालिद अशरफ ने मोटरसाइकिल की लापरवाही की पुष्टि की। इसके अलावा, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने चोटों की प्रकृति और समयसीमा को स्पष्ट किया।
मुआवजा राशि का निर्धारण
एमएसीटी ने ₹11,45,932 मुआवजे के साथ 7.5% वार्षिक ब्याज का आदेश दिया।
बीमाकर्ता की अपील: हाईकोर्ट का ठोस रुख
कंपनी की दलीलें
बीमा कंपनी ने हाईकोर्ट में अपील करते हुए कहा कि:
- एफआईआर में विसंगतियां थीं।
- दुर्घटना में मोटरसाइकिल नहीं, हाइवा ट्रक शामिल था।
- दावेदार के साक्ष्य अविश्वसनीय हैं।
हाईकोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट ने बीमा कंपनी की अपील खारिज कर दी। अदालत ने स्पष्ट किया कि:
- बीमा कंपनी साक्ष्य प्रस्तुत करने में विफल रही।
- ट्रिब्यूनल के फैसले में कोई त्रुटि नहीं थी।
परिवार को मिलेगा ₹12 लाख का मुआवजा
हाईकोर्ट के आदेश से मुआवजे की राशि बढ़ाकर ₹12 लाख कर दी गई। अदालत ने बीमा कंपनी को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द मुआवजा राशि का भुगतान करे।