रांची: झारखंड के चर्चित शराब घोटाला मामले में एसीबी (Anti Corruption Bureau) ने बुधवार को राज्य के पूर्व उत्पाद सचिव IAS मनोज कुमार से लंबी पूछताछ की। सूत्रों के अनुसार, एजेंसी ने उनसे कई वित्तीय और प्रशासनिक सवाल पूछे, लेकिन अधिकारियों को उनके जवाबों से संतोष नहीं मिला। एसीबी ने उन्हें दोबारा 30 अक्टूबर को पूछताछ के लिए तलब किया है।
शराब घोटाले की जांच में एसीबी की सक्रियता तेज
झारखंड में शराब नीति से जुड़े इस घोटाले की जांच पिछले कई महीनों से चल रही है। एसीबी ने इस मामले में पहले भी कई अफसरों और ठेकेदारों से पूछताछ की है। बताया जा रहा है कि पूछताछ के दौरान मनोज कुमार से विभिन्न टेंडर, अनुबंध और भुगतान प्रक्रियाओं को लेकर सवाल किए गए। एजेंसी यह जांच कर रही है कि राज्य सरकार को 38 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व नुकसान कैसे हुआ।
कई कंपनियों पर फर्जी गारंटी से काम करने का आरोप
जांच के अनुसार, मेसर्स मार्शन इनोवेटिव सिक्योरिटी सर्विस प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स विजन हॉस्पिटैलिटी सर्विसेज जैसी कंपनियों ने 2023 से फर्जी गारंटी के जरिए ठेके प्राप्त किए। इन कंपनियों पर आरोप है कि उन्होंने उत्पाद विभाग से बिना वैध अनुमति के अनुबंध लिए और राज्य सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचाया।
एसीबी के अधिकारियों का कहना है कि ये कंपनियां झारखंड सरकार की नई शराब वितरण नीति के तहत जुड़े अनुबंधों से लाभ उठा रही थीं।
छत्तीसगढ़ की दो कंपनियों को भुगतान पर भी सवाल
सूत्रों के अनुसार, एसीबी को जांच में यह भी जानकारी मिली है कि छत्तीसगढ़ की दो कंपनियों — मेसर्स दीशिता वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स ओम साईं विबरेजेज प्राइवेट लिमिटेड को 11 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया, जबकि इन कंपनियों पर पहले से ही 450 करोड़ रुपये का बकाया था।
चौंकाने वाली बात यह है कि यह भुगतान उत्पाद सचिव मनोज कुमार के कार्यकाल के दौरान हुआ और संबंधित मंत्री की जानकारी के बिना मंजूर किया गया।
पूर्व उत्पाद सचिव विनय चौबे की गिरफ्तारी के बाद जांच में नया मोड़
इससे पहले एसीबी ने इसी मामले में पूर्व उत्पाद सचिव विनय चौबे को गिरफ्तार किया था। चौबे की गिरफ्तारी के बाद जांच का दायरा तेजी से बढ़ाया गया है और अब कई वरिष्ठ अधिकारियों से पूछताछ की जा रही है।
मनोज कुमार से हुई पूछताछ को भी उसी जांच श्रृंखला का हिस्सा माना जा रहा है। एजेंसी ने उनके कार्यकाल से संबंधित दस्तावेजों और फाइलों की गहन जांच शुरू कर दी है।
एसीबी की जांच में फोकस फर्जी वित्तीय लेन-देन पर
जांच टीम अब उन दस्तावेजों की पड़ताल कर रही है जिनमें फर्जी बैंक गारंटी, भुगतान आदेश, और टेंडर अप्रूवल से जुड़े साक्ष्य मिलने की संभावना है। अधिकारियों ने बताया कि मनोज कुमार से कई सवालों के स्पष्ट उत्तर नहीं मिलने के कारण उन्हें दोबारा तलब किया गया है।
एसीबी का मानना है कि शराब वितरण प्रणाली में किए गए वित्तीय अनियमितताओं के पीछे कंपनी-प्रशासनिक गठजोड़ की भूमिका हो सकती है।
राजनीतिक हलचल तेज, विपक्ष ने उठाए सवाल
इस पूरे मामले ने झारखंड की राजनीति में भी हलचल पैदा कर दी है। विपक्ष ने सरकार से पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग की है, वहीं सत्ताधारी दल ने कहा है कि जांच एजेंसियों को बिना दबाव के अपना काम करने दिया जाएगा।
राज्य की जनता की निगाहें अब 30 अक्टूबर की पूछताछ पर टिकी हैं, जब एसीबी मनोज कुमार से एक बार फिर विस्तृत सवाल करेगी।
