रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य के प्रमुख चिकित्सा संस्थान राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (RIMS) और स्वास्थ्य विभाग से जवाब मांगा है कि गवर्निंग बॉडी (GB) की बैठक में लिए गए निर्णयों को लागू करने की स्पष्ट समयसीमा अब तक क्यों तय नहीं की गई है। अदालत ने दोनों पक्षों से अगली सुनवाई से पहले अमल की प्रक्रिया पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
हाईकोर्ट ने दिखाई सख्ती, पूछा — “निर्णय कब होंगे लागू?”
मुख्य न्यायाधीश की पीठ में हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि बिना तय समयसीमा के किसी भी निर्णय पर प्रभावी अमल संभव नहीं है।
RIMS और स्वास्थ्य विभाग दोनों ने अपना हलफनामा दाखिल किया, लेकिन उसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया कि GB बैठक में लिए गए निर्णयों को कब तक लागू किया जाएगा। इस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि प्रशासनिक लापरवाही से चिकित्सा व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, इसलिए कार्रवाई की ठोस समयरेखा जरूरी है।
RIMS और स्वास्थ्य विभाग से रिपोर्ट मांगी गई
अदालत ने निर्देश दिया है कि दोनों पक्ष अगली सुनवाई से पहले निर्णयों के क्रियान्वयन की विस्तृत समयसीमा अदालत को सौंपें।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि बैठक में लिए गए निर्णयों को केवल फाइलों तक सीमित रखना उचित नहीं, बल्कि उन्हें मैदान स्तर पर लागू करना राज्य की प्राथमिकता होनी चाहिए।
अब इस मामले की अगली सुनवाई 6 नवंबर को निर्धारित की गई है।
गवर्निंग बॉडी बैठक से जुड़े मुख्य मुद्दे
जानकारी के अनुसार, हाल ही में हुई RIMS गवर्निंग बॉडी की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए थे —
- संस्थान में डॉक्टरों और स्टाफ की नियुक्ति प्रक्रिया को तेज करना
- मेडिकल उपकरणों की खरीद और रखरखाव प्रणाली में सुधार
- मरीजों के लिए आपातकालीन सुविधाओं और ICU सेवाओं का विस्तार
- RIMS परिसर में स्वच्छता और सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाना
इन निर्णयों पर अब तक ठोस अमल की स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है, जिसके कारण हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए जवाब तलब किया।
अदालत ने पारदर्शिता और जवाबदेही पर दिया जोर
हाईकोर्ट ने कहा कि जनहित से जुड़े निर्णयों में देरी राज्य के नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि RIMS जैसे प्रमुख चिकित्सा संस्थान में संसाधनों की उपलब्धता और सेवा गुणवत्ता सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है।
न्यायालय ने स्वास्थ्य विभाग को चेताया कि यदि अगली सुनवाई तक कोई ठोस कार्ययोजना प्रस्तुत नहीं की गई, तो अदालत कड़े कदम उठा सकती है।
उच्चस्तरीय निगरानी में रहेगा पूरा मामला
हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि GB बैठक में पारित निर्णयों के क्रियान्वयन की पूरी प्रक्रिया पर न्यायिक निगरानी जारी रहेगी।
इससे पहले भी अदालत ने कई बार RIMS प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग को सुधारात्मक कदम उठाने के निर्देश दिए थे, लेकिन प्रगति संतोषजनक नहीं पाई गई थी।
अदालत के इस आदेश के बाद अब RIMS प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग दोनों पर कार्रवाई की जवाबदेही बढ़ गई है।