धनबाद – पाथरडीह स्थित मोनेट वाशरी गेट (Monnet Washery Gate Dhanbad) पर रैयत शिवशंकर उर्फ जादू महतो का शव तीसरे दिन भी नहीं उठाया गया। परिजन कंपनी प्रबंधन और जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई के साथ-साथ परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की मांग पर डटे हुए हैं। आंदोलन को झारखंड लोक कल्याण मंच (JLKAM) का समर्थन मिला है।
जादू महतो की आत्मदाह से हुई थी मौत
जानकारी के अनुसार, जादू महतो ने 28 अगस्त को मोनेट कंपनी से समझौते का पालन न होने से क्षुब्ध होकर पेट्रोल डालकर आत्मदाह कर लिया था। गंभीर स्थिति में उन्हें बोकारो के बीजीएच अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई।
मरने से पहले दिए गए बयान में जादू महतो ने कंपनी के एचआर संजय कुमार, बीसीसीएल के पीओ विपिन कुमार और स्थानीय नेता सबुर गोराई को जिम्मेदार ठहराया था।
परिजनों का आरोप और मुख्य मांगें
परिजनों का कहना है कि 2012 में 5 एकड़ 71 डिसमिल जमीन मोनेट कंपनी को उस समय के डीसी और टुंडी विधायक मथुरा महतो की मौजूदगी में दी गई थी। समझौते के अनुसार कंपनी को जमीन देने के बाद रोजगार और अन्य लाभ दिए जाने थे, लेकिन वादों पर अमल नहीं किया गया।
इसी कारण जादू महतो वर्षों से परेशान थे। परिजन अब मांग कर रहे हैं कि –
- कंपनी जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई करे।
- परिवार के एक सदस्य को स्थायी नौकरी (High Skill Category) दी जाए।
- विस्थापन समझौते के अनुसार सभी वादों को पूरा किया जाए।
जेएलकेएम और जयराम महतो का समर्थन
जेएलकेएम सुप्रीमो और डुमरी विधायक जयराम महतो बुधवार को धरना स्थल पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि जब तक परिजनों की मांगें पूरी नहीं होंगी, शव नहीं उठेगा।
जयराम महतो ने यह भी स्पष्ट किया कि कंपनी केवल अस्थायी नियोजन देने की बात कर रही है, जबकि यह नियोजन हाई स्किल पद पर होना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
मुआवजा को लेकर विवाद
कंपनी प्रबंधन का कहना है कि जादू महतो कंपनी के कर्मचारी नहीं, बल्कि कॉन्ट्रैक्टर थे। इस वजह से मुआवजा देने का प्रावधान नहीं है। वहीं, परिजन और समर्थक संगठन इसे अन्यायपूर्ण बता रहे हैं और कंपनी को समझौते का पालन करने के लिए बाध्य करने की मांग कर रहे हैं।