नई दिल्ली/रांची: झारखंड की राजनीति में एक मानवीय क्षण उस समय सामने आया जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी की दिल्ली में मुलाकात हुई। यह भेंट किसी राजनीतिक चर्चा या रणनीति के तहत नहीं, बल्कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के स्वास्थ्य की जानकारी लेने के लिए हुई।
Jharkhand Politics: बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन से मुलाकात कर जताई चिंता
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता और झारखंड विधानसभा में विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी ने खुद इस मुलाकात की जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) के माध्यम से दी। उन्होंने लिखा:
“दिल्ली में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात कर झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन जी के स्वास्थ्य की जानकारी ली। हम सभी उनके शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं।”
इस पोस्ट के साथ बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन के साथ ली गई तस्वीर भी साझा की, जिसमें दोनों नेताओं को सौहार्दपूर्ण भाव में देखा जा सकता है।
राजनीतिक मतभेदों से परे दिखा सौहार्द
इस मुलाकात को झारखंड की राजनीतिक संस्कृति में सद्भावना और सामाजिक सरोकार के उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है। भले ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी अलग-अलग दलों का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन व्यक्तिगत संबंधों और मानवीय मूल्यों के प्रति सम्मान इस मुलाकात में स्पष्ट रूप से परिलक्षित हुआ।
विशेष रूप से यह भेंट ऐसे समय में हुई है जब झारखंड की राजनीति कई विवादों और आरोप-प्रत्यारोपों से घिरी हुई है। ऐसे माहौल में यह सकारात्मक संदेश देता है कि राज्य के बड़े नेता सामाजिक सरोकारों के मुद्दे पर एकजुट हो सकते हैं।
Shibu Soren Health Update: दिग्गज नेता के स्वास्थ्य को लेकर चिंता
गौरतलब है कि झारखंड आंदोलन के पुरोधा और आदिवासी समाज की आवाज माने जाने वाले शिबू सोरेन पिछले कुछ समय से अस्वस्थ हैं और उनका दिल्ली में उपचार चल रहा है। झारखंड में उनके स्वास्थ्य को लेकर लगातार चिंता व्यक्त की जा रही है।
शिबू सोरेन न सिर्फ झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक हैं, बल्कि राज्य की राजनीति के एक मजबूत स्तंभ भी रहे हैं। उनकी राजनीतिक विरासत और योगदान को देखते हुए सभी राजनीतिक दलों के नेताओं द्वारा उनके स्वास्थ्य को लेकर चिंता स्वाभाविक मानी जा रही है।
विपक्ष और सत्ता पक्ष की यह भेंट बनी चर्चा का विषय
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह मुलाकात एक शिष्टाचारिक भेंट जरूर थी, लेकिन इसके माध्यम से यह भी स्पष्ट होता है कि झारखंड की राजनीति में वैयक्तिक सम्मान और सामाजिक मूल्यों को अब भी प्राथमिकता दी जाती है।
यह मुलाकात इस बात का संकेत है कि राज्य के वरिष्ठ नेता, राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर, जब भी जरूरत होती है, एक-दूसरे से संवाद करने के लिए तैयार रहते हैं।
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