रांची: बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन सरकार पर जोरदार हमला बोला है।
उन्होंने ट्वीट कर सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि शैक्षिक सत्र को शुरू हुए तीन महीने से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन बच्चों को न तो किताबें मिली हैं, न साइकिल, और न ही स्कूली पोशाकें।
इसके चलते राज्य के बच्चों का भविष्य अधर में लटकता हुआ दिखाई दे रहा है।
बाबूलाल ने कहा, “झारखंड के भविष्य को नंगे पैर स्कूल जाने पर मजबूर किया जा रहा है।”
बाढ़ के बीच बच्चों की कठिनाइयां
मरांडी ने यह भी आरोप लगाया कि जहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बारिश के मौसम में सड़कों पर नहीं उतरते, वहीं बच्चे स्कूल जाने के लिए तैरकर अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं।
उन्होंने कहा, “प्रदेश के 34 लाख बच्चों का भविष्य सरकार की छात्रविरोधी नीतियों के चलते अंधकार में है। केंद्र सरकार द्वारा 60% राशि मुहैया कराने के बावजूद राज्य सरकार बच्चों के भविष्य के प्रति असंवेदनशील बनी हुई है।”
बांग्लादेशी घुसपैठियों पर संरक्षण का आरोप
अपने दूसरे ट्वीट में बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन सरकार पर बांग्लादेशी घुसपैठियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, “हेमंत सरकार हमारे आदिवासी भाइयों-बहनों के अधिकारों में सेंधमारी कर रही है और घुसपैठियों को अवैध रूप से बसाकर आदिवासियों को अल्पसंख्यक बनाने की साजिश रच रही है। यह सरकार सिर्फ अपने वोटबैंक को बढ़ाने का प्रयास कर रही है।”
गरीबों और मजदूरों के प्रति असंवेदनशीलता
बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार पर गरीबों और मजदूरों के प्रति असंवेदनशीलता का आरोप लगाते हुए कहा कि हुसैनाबाद अनुमंडल में मुख्यमंत्री दाल भात केंद्रों का संचालन पिछले एक वर्ष से बंद पड़ा है।
उन्होंने कहा, “5 रुपए में मिलने वाला भरपेट भोजन अब दिहाड़ी मजदूरों के लिए सपना बन गया है। केंद्र संचालकों ने चार महीने तक अपने खर्च से भोजन मुहैया कराया, लेकिन अब उनके पास भी पैसे खत्म हो गए हैं। इसके बावजूद सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया।”
जनकल्याण के नाम पर सिर्फ अपना कल्याण
मरांडी ने आरोप लगाया कि हेमंत सरकार जनकल्याण के नाम पर केवल अपना कल्याण कर रही है।
उन्होंने कहा, “इस असंवेदनशील सरकार में गरीबों और मजदूरों को भोजन के लिए भटकना पड़ रहा है और भूखे पेट सोना पड़ रहा है। सरकार गरीबों और गरीबी का मजाक बना रही है, जिससे जनता का विश्वास टूट रहा है।”
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