धनबाद: उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ बुधवार की सुबह श्रद्धा और भक्ति के माहौल में संपन्न हुआ। धनबाद, बोकारो, गिरिडीह, हजारीबाग सहित पूरे झारखंड में छठ घाटों पर व्रतियों और श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। जलाशयों, नदियों और तालाबों के किनारे “जय छठी मैया” के जयघोष गूंजते रहे। भक्तों ने उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की दीर्घायु की कामना की।
उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ संपन्न हुआ छठ पर्व
लोक आस्था का यह महापर्व मंगलवार शाम अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के बाद बुधवार की भोर में उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हुआ। महिलाओं ने पीतवस्त्र धारण कर नदी किनारे, तालाबों और अस्थायी घाटों पर खड़े होकर सूर्य देव और छठी मैया की पूजा-अर्चना की। अर्घ्य के बाद व्रतियों ने पारण कर चार दिनों से जारी उपवास को समाप्त किया।
छठ पर्व के दौरान श्रद्धालुओं ने घरों के आंगन, छतों और घाटों को दीपों व रंग-बिरंगी झालरों से सजाया। भक्ति संगीत, शंखनाद और ढोल-नगाड़ों की गूंज ने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया।
छठ घाटों पर दिखी भक्ति और अनुशासन की अद्भुत मिसाल
धनबाद, झरिया, सिंदरी, गोविंदपुर, टुंडी, बलियापुर और निरसा क्षेत्रों के प्रमुख घाटों — बेकारबांध राजेंद्र सरोवर, वॉच एंड वार्ड तालाब, बरमसिया तालाब, राजा तालाब, और लाल बंगला घाट — पर सुबह से ही हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ रही। घाटों पर आकर्षक सजावट, लाइटिंग और सुरक्षा व्यवस्था ने माहौल को भक्तिमय बना दिया।
छठ पूजा के दौरान कई स्थानों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए। सामाजिक संस्थाओं और स्वयंसेवी संगठनों ने व्रतियों के लिए फल, दूध और गंगाजल का वितरण किया।
प्रशासन की सतर्कता और सुरक्षा व्यवस्था रही चाक-चौबंद
उपायुक्त आदित्य रंजन के निर्देश पर सभी प्रमुख छठ घाटों पर सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ किया गया था। हर घाट पर गोताखोरों और मेडिकल टीम की तैनाती की गई। प्रशासन ने गहरे पानी वाले हिस्सों में बैरिकेडिंग कर श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की।
जिला नियंत्रण कक्ष लगातार सक्रिय रहा। धनबाद, झरिया, सिंदरी और गोविंदपुर में क्विक रिस्पॉन्स टीम (QRT) तैनात रही। सिविल सर्जन की देखरेख में अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सक व एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई। अग्निशमन विभाग के कर्मी भी सतर्क मोड में डटे रहे।
घाटों पर आतिशबाजी और जयघोष से गूंजा वातावरण
बुधवार की सुबह जैसे ही उदीयमान सूर्य दिखाई दिए, श्रद्धालुओं ने अर्घ्य अर्पित करते हुए आतिशबाजी से पूरा वातावरण उत्साहपूर्ण बना दिया। घाटों पर “जय छठी मैया”, “सूर्य भगवान की जय” के जयघोष गूंजते रहे।
आकाश रंगीन पटाखों से जगमगा उठा और भक्तों की आस्था, अनुशासन व एकजुटता ने छठ पर्व को सामाजिक समरसता का प्रतीक बना दिया।
छठ पर्व बना सेवा और समरसता का प्रतीक
लोक आस्था का पर्व छठ केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता और सेवा का भी उत्सव रहा। विभिन्न सामाजिक संगठनों, स्वयंसेवकों और स्थानीय युवाओं ने श्रद्धालुओं की सहायता में सक्रिय भूमिका निभाई। जगह-जगह व्रतियों के लिए चाय, पानी और विश्राम की व्यवस्था की गई।
प्रशासन, पुलिस और नागरिकों के सहयोग से यह पर्व पूर्ण अनुशासन और श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ, जिसने झारखंड में आस्था, संस्कृति और एकता का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया।
