केंद्र सरकार ने वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से 1995 के वक्फ अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव रखा है।
यह संशोधन विधेयक, 2024, वक्फ संपत्तियों के कामकाज में कई महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा।
हालांकि, इस बिल को फिलहाल संयुक्त संसदीय समिति को भेजा गया है, लेकिन इसके पारित होने पर वक्फ बोर्ड के अधिकारों में महत्वपूर्ण बदलाव होंगे।
सबसे प्रमुख बदलाव यह होगा कि वक्फ बोर्ड अब बिना जांच के किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित नहीं कर सकेगा।
पारदर्शिता की दिशा में 40 से अधिक संशोधन
वक्फ अधिनियम, 1995 में 40 से अधिक संशोधनों के माध्यम से वक्फ संपत्तियों की देखरेख में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी।
इसके तहत, वक्फ बोर्ड द्वारा जिन संपत्तियों पर दावा किया जाएगा, उनके लिए अनिवार्य सत्यापन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
महिलाओं को मिलेगा प्रतिनिधित्व
वक्फ अधिनियम की धारा 9 और 14 में संशोधन के तहत, वक्फ बोर्ड में महिला प्रतिनिधियों की भागीदारी अनिवार्य की जाएगी।
यह कदम न केवल वक्फ बोर्ड के कामकाज में विविधता लाएगा, बल्कि महिलाओं को भी धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन में शामिल होने का अवसर प्रदान करेगा।
विवादों में आएगी कमी
नए संशोधनों से वक्फ संपत्तियों को लेकर होने वाले विवादों में भी कमी आ सकती है।
वक्फ संपत्तियों के सत्यापन के लिए नई प्रक्रियाएं शुरू की जाएंगी, जिससे ज़िला मजिस्ट्रेट को भी अधिकार मिलेगा। इससे संपत्तियों के विवादों का समाधान करने में मदद मिलेगी।
बोर्ड के असीमित अधिकारों पर लगेगी रोक
पुराने कानून के तहत वक्फ बोर्ड के पास असीमित शक्तियां थीं, जिसके चलते किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया जाता था।
इससे विवाद बढ़ते थे और अधिकारों के दुरुपयोग की शिकायतें सामने आती थीं। नए विधेयक में इन शक्तियों को सीमित किया गया है, जिससे बोर्ड के कार्यों में संतुलन बनेगा।
क्यों हो रहा है बिल का विरोध?
मुस्लिम हितों पर प्रभाव की चिंता
वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करने वाले लोग मानते हैं कि 1995 के कानून में बदलाव से मुस्लिम समुदाय के हितों पर असर पड़ सकता है।
उनका कहना है कि वक्फ संपत्तियां धार्मिक उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाती हैं, और नए संशोधनों से उनके हित प्रभावित हो सकते हैं।
वक्फ बोर्ड की कमजोर स्थिति
विरोधियों का यह भी कहना है कि नए संशोधनों से वक्फ बोर्ड की शक्ति कमजोर होगी, जिससे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
सरकारी हस्तक्षेप का डर
एक और चिंता ब्यूरोक्रेसी के बढ़ते दखल को लेकर है। नए विधेयक में ज़िला मजिस्ट्रेट को अधिक शक्तियां दी गई हैं, जिससे वक्फ मामलों में सरकारी नियंत्रण बढ़ सकता है।
विरोधियों का मानना है कि इससे वक्फ बोर्ड की स्वतंत्रता प्रभावित हो सकती है और उनका कामकाज सरकारी नियंत्रण में आ सकता है।
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