रांची (झारखंड)। झारखंड में आयोजित 11वीं सिविल सेवा परीक्षा को लेकर लगातार उठ रहे सवालों के बीच अब मामला गंभीर होता जा रहा है। राज्यपाल संतोष गंगवार ने परीक्षा में कथित अनियमितताओं की शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) को औपचारिक रूप से जांच का निर्देश दिया है। इस संबंध में राजभवन के अवर सचिव द्वारा आयोग अध्यक्ष को पत्र भेजा गया है, जिसमें नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा गया है।
झारखंड सिविल सेवा परीक्षा अनियमितता: पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की शिकायत के बाद जांच तेज
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने हाल ही में राज्यपाल से मुलाकात कर परीक्षा में भारी अनियमितता और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। उनके साथ प्रेम कुमार सहित अन्य अभ्यर्थियों ने भी राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा, जिसमें निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच की मांग की गई थी। शिकायत में परीक्षा प्रक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं।
JPSC परीक्षा में डिजिटल मूल्यांकन पर उठे सवाल
अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया है कि इस बार उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन डिजिटल माध्यम से किया गया, जबकि JPSC के मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) के अनुसार, अभ्यर्थियों को मूल्यांकन के बाद उत्तरपुस्तिकाएं दिखाने का प्रावधान है। डिजिटल प्रक्रिया में यह संभव नहीं होने से पारदर्शिता और निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह लग गए हैं।
अनुभवहीन और अनुबंधित शिक्षकों से कराया गया मूल्यांकन?
झारखंड सिविल सेवा परीक्षा विवाद में अभ्यर्थियों का यह भी कहना है कि उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन ऐसे शिक्षकों से कराया गया, जिनके पास न तो नियमित विश्वविद्यालय शिक्षकों जैसा अनुभव है और न ही वे आयोग के निर्धारित मापदंडों पर खरे उतरते हैं। नियमानुसार मूल्यांकन के लिए PG स्तर पर 5 साल या विश्वविद्यालय में 10 साल का अनुभव आवश्यक होता है, परंतु आयोग ने कथित रूप से अनुबंधित शिक्षकों से मूल्यांकन करवाया।
JPSC ने थर्ड पार्टी एजेंसी को टेंडर के बिना किया शामिल
परीक्षा प्रक्रिया में एक थर्ड पार्टी एजेंसी को शामिल करने को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया है। अभ्यर्थियों का आरोप है कि इस एजेंसी का चयन बिना किसी टेंडर प्रक्रिया के किया गया, जिससे परीक्षा की गोपनीयता और निष्पक्षता पर संदेह उत्पन्न हो गया है।
फोन कॉल पर नंबर बढ़ाने के लिए पैसे की मांग, निजी जानकारी तक थी लीक
सबसे चौंकाने वाला आरोप यह है कि अगस्त-सितंबर 2024 के बीच कई अभ्यर्थियों को फोन कॉल कर अंक बढ़ाने के एवज में रकम मांगी गई। कॉल करने वाले के पास अभ्यर्थियों का रोल नंबर, आधार संख्या, मैट्रिक और स्नातक के अंक, परीक्षा केंद्र और पद संबंधी सभी जानकारी उपलब्ध थी। इस मामले में निरसा थाना में FIR भी दर्ज की गई है, जिससे यह मामला साइबर अपराध और डेटा लीक की ओर भी इशारा करता है।
JPSC सिविल सेवा परिणाम प्रक्रिया अंतिम चरण में, इंटरव्यू और मेडिकल हो चुके
गौरतलब है कि 11वीं, 12वीं और 13वीं JPSC परीक्षा एक साथ आयोजित की गई थी। कुल 342 पदों पर नियुक्ति के लिए प्रक्रिया चल रही है। मुख्य परीक्षा पास करने वाले 864 में से लगभग 860 अभ्यर्थी 10 जून से 23 जून 2024 तक आयोजित इंटरव्यू में शामिल हुए थे। सभी का मेडिकल परीक्षण भी पूरा हो चुका है। अब केवल अंतिम परिणाम की घोषणा शेष है।
परीक्षा आवेदन पोर्टल दोबारा खोलने पर भी उठे गंभीर सवाल
अभ्यर्थियों ने यह भी आरोप लगाया है कि परीक्षा से एक सप्ताह पहले आवेदन पोर्टल दोबारा खोला गया था, जिससे पूरी प्रक्रिया संदिग्ध हो गई है। जानकारी के अनुसार, परिणाम में भी त्रुटियां थीं, जिससे आयोग के कुछ सदस्यों ने रिजल्ट पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था।