गिरिडीह: गिरिडीह में जेएलकेएम (झारखंड लिवलीहुड एंड कांग्रस मोर्चा) का वोट बैंक अब बुरी तरह से दरकता हुआ दिखाई दे रहा है। पार्टी के उम्मीदवार रिजवान क्रांतिकारी के बाद अब गिरिडीह विधानसभा क्षेत्र से उर्फ लालो के इस्तीफे ने पार्टी के खेमे में निराशा का माहौल बना दिया है। यह घटनाएं पार्टी के लिए एक बड़ा झटका साबित हो रही हैं, जिससे जेएलकेएम में खलबली मच गई है।
जेएलकेएम की रणनीति में पड़ा बड़ा छेद
जेएलकेएम सुप्रीमो टाइगर जयराम महतो की रणनीति में शुरुआत में कोइरी-कुशवाहा जाति के एक बड़े वर्ग को अपने पक्ष में लाने की योजना थी। इसके लिए पार्टी ने रिजवान और लालो जैसे प्रभावशाली नेताओं को पार्टी में शामिल किया था। इन दोनों नेताओं ने शुरुआती दिनों में पार्टी में मजबूत उपस्थिति दर्ज की थी, लेकिन चुनावी समर के बीच दोनों ने पलटी मार ली और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) से जुड़ने का निर्णय लिया।
लालो की इस्तीफे की वजह
सूत्रों के अनुसार, लालो ने जेएलकेएम में शामिल होने से पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता नवीन चौरसिया से एक बड़ी डील की थी, लेकिन जब वह डील पूरी नहीं हुई, तो लालो ने नाराजगी जताई। इसके बाद मामला और उलझा और अंत में लालो ने जेएलकेएम से नाता तोड़ लिया। अब, झारखंड मुक्ति मोर्चा में उनकी सदस्यता ने पार्टी के भीतर नई उम्मीदों का संचार किया है।
जेएलकेएम के लिए चुनावी चुनौती
रिजवान और लालो के इस्तीफे के बाद अब जेएलकेएम के सामने चुनावी चुनौती और बढ़ गई है। पार्टी का एक अहम वोट बैंक टूट चुका है और इससे आगामी चुनावों में जेएलकेएम को बड़ा नुकसान हो सकता है। इस स्थिति में पार्टी को अपने लिए नई रणनीति तैयार करनी होगी, ताकि वह अपने समर्थकों को फिर से एकजुट कर सके और आगामी चुनावों में अपना खोया हुआ प्रभाव वापस पा सके।
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