रांची। झारखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने JSSC-CGL परीक्षा के परिणाम को लेकर राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
उन्होंने कहा कि झामुमो के कार्यकर्ता फर्जी छात्रों के रूप में पहचान बनाकर परीक्षा परिणाम जारी करने की मांग कर रहे हैं।
मरांडी ने इस मामले में राज्य सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह केवल परीक्षा के अभ्यर्थियों का अपमान नहीं, बल्कि झारखंड के युवाओं के साथ एक गंभीर अन्याय है।
JSSC-CGL परीक्षा: 7 लाख छात्रों की आवाज
बाबूलाल मरांडी ने बताया कि लगभग 7 लाख छात्रों ने JSSC-CGL परीक्षा में भाग लिया और इनमें से हर एक विद्यार्थी चाहता है कि पेपर लीक मामले की निष्पक्ष जांच हो।
“यह सभी छात्रों का हक है कि उन्हें सही और पारदर्शी तरीके से परीक्षा के परिणाम मिले। लेकिन जिन लोगों ने JSSC का फॉर्म भरा ही नहीं, वे क्या आधार पर परिणाम की मांग कर रहे हैं?”
उन्होंने सवाल उठाया। उनका यह बयान न केवल परीक्षा के परिणामों की मांग कर रहा है, बल्कि राज्य में शिक्षा के मुद्दे पर गहरी चिंता भी व्यक्त कर रहा है।
झामुमो के कार्यकर्ताओं पर गंभीर आरोप
बाबूलाल मरांडी ने झामुमो के कार्यकर्ताओं पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे “भाड़े के टट्टुओं” के माध्यम से एक प्रायोजित षड्यंत्र रच रहे हैं, जिससे 7 लाख छात्रों को बदनाम किया जा सके।
उन्होंने कहा, “यह झामुमो की सरकार की नीति की पराकाष्ठा है। यह केवल राजनीति नहीं है, यह झारखंड के युवाओं का अपमान है।”
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की इस कार्रवाई का कड़ा जवाब युवा देंगे।
बेरोजगारी और शिक्षा का मुद्दा
बाबूलाल ने स्पष्ट किया कि झारखंड में बेरोजगारी और शिक्षा के मुद्दे लंबे समय से ज्वलंत बने हुए हैं। “यहां के युवा शिक्षा के अधिकार और नौकरी के अवसरों की तलाश में हैं। लेकिन जब सरकार इस तरह के मामलों को नजरअंदाज करती है, तो युवाओं का भरोसा टूटता है।”
उन्होंने राज्य सरकार से मांग की कि वह परीक्षा के परिणामों के मामले में निष्पक्षता बरते और सही जांच कराए।
राजनीतिक प्रतिरोध की स्थिति
इस बयान के बाद झारखंड की राजनीति में एक नई बहस की शुरुआत हो गई है।
झामुमो और बीजेपी के बीच यह आरोप-प्रत्यारोप न केवल राजनीतिक विवाद को बढ़ा रहा है, बल्कि युवाओं के मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित कर रहा है।
राज्य के युवा अब सवाल पूछ रहे हैं कि उनकी आवाज कब सुनी जाएगी।
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