रांची | 15 अक्टूबर — झारखंड की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। घाटशिला विधानसभा उपचुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपने उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है। पार्टी ने इस बार बाबूलाल सोरेन पर भरोसा जताया है, जो झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के पुत्र हैं। भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति ने उनकी उम्मीदवारी की घोषणा करते हुए आधिकारिक पत्र जारी किया है।
भाजपा प्रत्याशी के रूप में बाबूलाल सोरेन का नाम तय
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने बुधवार को पत्र जारी कर बाबूलाल सोरेन को घाटशिला विधानसभा उपचुनाव के लिए अधिकृत उम्मीदवार घोषित किया। इससे पहले भी बाबूलाल सोरेन 2019 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से भाजपा उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे थे, हालांकि तब उन्हें झामुमो के रामदास सोरेन ने पराजित किया था।
पिछले चुनाव में रामदास सोरेन को 98,356 वोट मिले थे जबकि बाबूलाल सोरेन को 75,910 वोट प्राप्त हुए थे। इस बार भाजपा ने एक बार फिर उन्हीं पर भरोसा जताते हुए घाटशिला सीट को झामुमो से वापस पाने का लक्ष्य तय किया है।
झारखंड उपचुनाव की तारीखें और निर्वाचन आयोग की तैयारी
निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) ने घाटशिला विधानसभा सीट (Ghatshila By-Election) के लिए उपचुनाव की तिथियों की घोषणा कर दी है।
- नामांकन की अंतिम तिथि: 21 अक्टूबर
- नाम वापस लेने की अंतिम तिथि: 24 अक्टूबर
- मतदान की तिथि: 11 नवंबर
- मतगणना: 14 नवंबर
घाटशिला विधानसभा क्षेत्र में इस बार कुल 300 मतदान केंद्र (Polling Booths) बनाए गए हैं। चुनाव आयोग की ओर से सुरक्षा, ईवीएम प्रबंधन और मतदाता सुविधा से जुड़ी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।
घाटशिला विधानसभा सीट का राजनीतिक महत्व
घाटशिला विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित है। इस क्षेत्र में कुल 2,55,823 मतदाता हैं — जिनमें 1,24,899 पुरुष, 1,30,921 महिलाएं और 3 ट्रांसजेंडर मतदाता शामिल हैं।
यह क्षेत्र पूर्वी सिंहभूम जिले के राजनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण इलाकों में गिना जाता है। झारखंड की सत्ता में आने-जाने में इस सीट की भूमिका हमेशा अहम रही है।
झामुमो और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला
इस बार भी घाटशिला उपचुनाव में मुकाबला मुख्य रूप से भाजपा (BJP) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के बीच होने की संभावना है। झामुमो ने अभी तक अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि पार्टी दिवंगत विधायक रामदास सोरेन के परिवार में से किसी को टिकट दे सकती है।
भाजपा ने बाबूलाल सोरेन को मैदान में उतारकर यह संकेत दिया है कि वह इस सीट को हर हाल में झामुमो से छीनने के लिए पूरी ताकत झोंकेगी। पार्टी के प्रदेश नेतृत्व की ओर से बूथ स्तर पर संगठन को सक्रिय करने के निर्देश दिए गए हैं।
घाटशिला उपचुनाव को लेकर सियासी समीकरण
घाटशिला उपचुनाव 2024 (Ghatshila Assembly By-Election 2024) को लेकर भाजपा और झामुमो दोनों दलों ने अपने-अपने स्तर पर रणनीति बनानी शुरू कर दी है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस उपचुनाव का असर झारखंड विधानसभा चुनाव 2025 के समीकरणों पर भी पड़ेगा।
भाजपा के लिए यह उपचुनाव राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करने का अवसर है, जबकि झामुमो के लिए यह सीट अपनी परंपरागत पकड़ को बनाए रखने की चुनौती बन गई है।
पृष्ठभूमि: उपचुनाव की वजह
हाल ही में झामुमो विधायक रामदास सोरेन के निधन के बाद घाटशिला सीट खाली हो गई थी। इसी के चलते चुनाव आयोग ने उपचुनाव की घोषणा की। इसके बाद से ही घाटशिला में सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं। भाजपा, झामुमो, कांग्रेस और आजसू जैसे दलों ने भी अपने स्थानीय स्तर पर जनसंपर्क बढ़ा दिया है।