झंडा मैदान से निकली आदिवासी समाज की आक्रोश रैली
गिरिडीह : आदिवासी छात्र संघ (Adivasi Chhatra Sangh) के बैनर तले बुधवार को बड़ी आक्रोश रैली का आयोजन किया गया। यह रैली झंडा मैदान से शुरू होकर शहर के विभिन्न चौक-चौराहों से होते हुए पुनः झंडा मैदान पहुंची। रैली में आदिवासी समाज के सैकड़ों लोग शामिल हुए जिन्होंने सूर्या हांसदा (Surya Hansda) एनकाउंटर मामले की सीबीआई जांच (CBI Inquiry) की जोरदार मांग उठाई।
सूर्या हांसदा एनकाउंटर : न्यायिक जांच की मांग तेज
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सूर्या नारायण हांसदा आदिवासी समाज के लिए शिक्षा और सामाजिक न्याय के प्रतीक थे। उनके अचानक और विवादित एनकाउंटर (Encounter) ने समाज को गहरा आघात पहुंचाया है। आदिवासी छात्र संघ ने साफ किया कि स्थानीय स्तर पर जांच में पक्षपात की संभावना है, इसलिए मामले की पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए सीबीआई जांच अनिवार्य है।
मुआवजा, सरकारी नौकरी और शिक्षा की गारंटी की मांग
रैली में शामिल आदिवासी नेताओं और संगठनों ने सूर्या हांसदा के परिजनों को मुआवजा देने, उनके परिवार को सरकारी नौकरी उपलब्ध कराने और अनाथ बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी सरकार द्वारा लेने की मांग की। उनका कहना है कि यह कदम न्याय सुनिश्चित करने और आदिवासी समाज का विश्वास बहाल करने के लिए आवश्यक है।
कुड़मी समाज को एसटी सूची में शामिल करने का विरोध
रैली के दौरान आदिवासी समाज ने कुड़मी समाज (Kurmi Community) को अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe) की सूची में शामिल करने के प्रस्ताव का भी विरोध जताया। आदिवासी छात्र संघ का कहना है कि यह कदम आदिवासी समुदाय के अधिकारों और आरक्षण व्यवस्था को प्रभावित करेगा।
आदिवासी छात्र संघ का रुख
रैली को संबोधित करते हुए आदिवासी छात्र संघ के अध्यक्ष प्रदीप सोरेन (Pradeep Soren) ने कहा कि सूर्या हांसदा ने अपने जीवन को आदिवासी बच्चों की शिक्षा और समाज के उत्थान के लिए समर्पित किया था। ऐसे में उनका विवादास्पद एनकाउंटर केवल व्यक्तिगत नहीं बल्कि पूरे आदिवासी समाज के लिए बड़ी क्षति है। उन्होंने राज्य सरकार से मांग की कि मामले की सीबीआई जांच शीघ्र सुनिश्चित की जाए।