रांची : नगड़ी स्थित रिम्स-2 प्रोजेक्ट को लेकर रविवार को माहौल बेहद तनावपूर्ण हो गया। प्रशासन की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था और चारों ओर से बैरिकेडिंग के बावजूद बड़ी संख्या में किसान और आदिवासी संगठन के सदस्य खेतों की पगडंडियों से होते हुए विवादित जमीन पर पहुंच गए। वहां उन्होंने हल जोतने और धान रोपाई की शुरुआत कर दी।
रिम्स-2 विरोध प्रदर्शन में दिशोम गुरु का मुखौटा लगाकर पहुंचे ग्रामीण

जानकारी के मुताबिक, कई किसान और ग्रामीण दिशोम गुरु शिबू सोरेन का मुखौटा लगाकर नगड़ी की जमीन पर पहुंचे। आंदोलनकारियों ने खेतों में हल चलाया और सरना झंडा गाड़कर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। इस दौरान “जमीन बचाओ” के नारे गूंजते रहे और माहौल गरमा गया।
पुलिस ने किया लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल
स्थिति नियंत्रण से बाहर होती देख प्रशासन ने लाठीचार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़े। अचानक हुई कार्रवाई से मौके पर अफरातफरी मच गई और ग्रामीण इधर-उधर भागने लगे। हालांकि, किसान संगठन का दावा है कि पुलिस की कार्रवाई के बावजूद कई लोग खेत में डटे रहे और खेती का प्रतीकात्मक कार्य जारी रखा।
सरना प्रार्थना सभा और JLKM पार्टी की भूमिका
इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व JLKM पार्टी के नेता दिवेंद्र महतो और सरना प्रार्थना सभा के सदस्यों ने किया। दिवेंद्र महतो ने हल चलाकर विरोध की शुरुआत की, वहीं सरना सभा के चंपा कुजूर ने आरोप लगाया कि पुलिस ने आंदोलनकारियों पर बर्बरता की और सरकार आदिवासी समाज की जमीन छीनने की कोशिश कर रही है।
लातेहार-लोहरदगा समेत कई जिलों से जुटे लोग
रविवार को हुए इस विरोध में सिर्फ नगड़ी ही नहीं बल्कि लातेहार, लोहरदगा, बेड़ों, हातमा और बिजुपाड़ा से भी सैकड़ों ग्रामीण पहुंचे थे। ग्रामीणों का कहना है कि झारखंड बने 25 साल हो चुके हैं लेकिन आज भी उनकी खेतीहर जमीन छीनकर विकास परियोजनाओं के नाम पर इस्तेमाल की जा रही है।
आदिवासी समाज ने जताई नाराजगी
आंदोलनकारियों का कहना है कि रिम्स-2 निर्माण के लिए चुनी गई जमीन उनकी आजीविका का मुख्य साधन है। उनका स्पष्ट कहना है कि वे अपनी खेती की जमीन का एक इंच भी नहीं छोड़ेंगे और यदि जरूरत पड़ी तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
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