पटना: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद देश में नए उपराष्ट्रपति के चयन को लेकर राजनीतिक चर्चाएं तेज हो गई हैं। बिहार की राजनीति में इस मुद्दे ने खासा तूल पकड़ लिया है जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक हरिभूषण ठाकुर बछौल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने की सार्वजनिक मांग कर दी।
बीजेपी विधायक ने मीडिया के सामने रखा प्रस्ताव
बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन मीडिया से बातचीत करते हुए बछौल ने कहा, “नीतीश कुमार का अनुभव अद्वितीय है। वे पिछले दो दशकों से बिहार की सेवा कर रहे हैं। ऐसे नेता का उपराष्ट्रपति पद पर आना देश की संसदीय गरिमा को बढ़ाएगा।”
यह मांग खुद जनता दल (यूनाइटेड) की ओर से नहीं, बल्कि उसकी NDA सहयोगी बीजेपी के एक वरिष्ठ विधायक की ओर से आई है, जिससे राज्य की राजनीति में नए समीकरणों की अटकलें तेज हो गई हैं।
नीतीश कुमार का अनुभव और राष्ट्र स्तर पर भूमिका
नीतीश कुमार का राजनीतिक करियर करीब चार दशक पुराना है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री से लेकर बिहार के सात बार मुख्यमंत्री बनने तक का लंबा सफर तय किया है।
उनकी प्रशासनिक दक्षता, दलगत राजनीति से ऊपर उठकर फैसले लेने की क्षमता और संविधान के प्रति प्रतिबद्धता उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए एक मजबूत दावेदार बनाती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाया जाता है, तो वे राज्यसभा की अध्यक्षता और संसद की गरिमा बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
विपक्ष ने सदन में किया विरोध, वोटर लिस्ट पर जताई आपत्ति
विधानसभा सत्र के दौरान विपक्ष ने भी मोर्चा खोला। मंगलवार को सदन की शुरुआत से पहले विपक्षी दलों ने विधानसभा परिसर में जोरदार प्रदर्शन किया।
विपक्ष की मांग थी कि बिहार में चल रहे सघन मतदाता निरीक्षण (Intensive Voter Survey) को तत्काल प्रभाव से रोका जाए। उनका आरोप है कि इस प्रक्रिया का उपयोग राजनीतिक फायदे के लिए किया जा रहा है।
जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से तेज हुई चर्चाएं
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
इस अप्रत्याशित घटनाक्रम के बाद देशभर में यह सवाल उठने लगा कि अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा।
इसी संदर्भ में नीतीश कुमार का नाम सामने आना न सिर्फ बिहार की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी एक बड़ा संकेत माना जा रहा है।
क्या एनडीए का समर्थन मिलेगा नीतीश को?
बीजेपी विधायक द्वारा प्रस्ताव लाने के बाद यह सवाल उठता है कि क्या एनडीए नीतीश कुमार को औपचारिक रूप से उपराष्ट्रपति पद के लिए समर्थन देगा?
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यदि बीजेपी इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाती है, तो यह गठबंधन के भीतर एक रणनीतिक कदम हो सकता है, जिसका असर 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव और 2029 के आम चुनाव पर भी दिख सकता है।