रांची: सावन की पहली सोमवारी पर राजधानी रांची के ऐतिहासिक पहाड़ी मंदिर में बाबा भोलेनाथ के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। सोमवार तड़के 1 बजे से ही स्वर्णरेखा नदी से जल लेकर पहुंचे कांवरियों की लंबी कतारें मंदिर की 468 सीढ़ियों पर दिखीं। मंदिर के पट सुबह 3 बजे खुले और 4 बजे से जलाभिषेक की विधिवत शुरुआत हुई।
पहाड़ी मंदिर में बाबा भोलेनाथ का विशेष श्रृंगार और रुद्राभिषेक
पहली सोमवारी को लेकर मंदिर परिसर को विशेष रूप से सजाया गया था। फूलों, ध्वजों और विद्युत रोशनी से मंदिर को आकर्षक बनाया गया। बाबा का विशेष श्रृंगार कर भक्तों के लिए दर्शन की व्यवस्था की गई। मंदिर पुजारियों के अनुसार, सावन की पहली सोमवारी पर जलाभिषेक करने से बाबा भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
महिला श्रद्धालुओं की रही विशेष भागीदारी
सावन सोमवारी पर महिला श्रद्धालुओं की संख्या भी उल्लेखनीय रही। लाल, पीले और भगवा परिधानों में सजी महिलाएं पूजा सामग्री लेकर मंदिर पहुंचीं और कांवर से जल चढ़ाकर आशीर्वाद लिया। पहाड़ी पर स्थित नाग गुफा में भी विशेष पूजा की गई, जहां नाग देवता की पूजा कर श्रद्धालुओं ने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की।
सावन सोमवारी पर भक्तों के लिए की गई विशेष व्यवस्था
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने विशेष व्यवस्था की थी। पेयजल, मोबाइल टॉयलेट, शेड, मेडिकल कैंप और आपातकालीन सेवाएं तैनात की गईं। रांची पुलिस, सिविल डिफेंस और नगर निगम के कर्मियों ने मिलकर भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा सुनिश्चित की। सीसीटीवी कैमरों और कंट्रोल रूम से पूरे क्षेत्र की निगरानी की गई।
Shravan 2025: रांची के अन्य शिवालयों में भी उमड़े श्रद्धालु
पहाड़ी मंदिर के अलावा कांके रोड शिव मंदिर, हरमू शिवालय, कचहरी चौक मंदिर और अन्य प्रमुख मंदिरों में भी सुबह से ही जलार्पण और पूजा-अर्चना का क्रम जारी रहा। छोटे-बड़े मंदिरों में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक की उपस्थिति रही और पूरे दिन ‘जय भोलेनाथ’ के जयकारों से वातावरण गूंजता रहा।
इस अवसर ने न केवल राजधानी रांची में धार्मिक एकजुटता को प्रदर्शित किया, बल्कि सावन की आस्था और परंपरा को भी उजागर किया, जो झारखंड के सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों का अभिन्न हिस्सा है।